बांस पिहरी के आगे चिकन-मटन भी फेल, कीमत 1000 रुपये किलो

बांस पिहरी के आगे चिकन-मटन भी फेल, कीमत 1000 रुपये किलो


Last Updated:

Baans Pihri Vegetable: बारिश के दिनों में जब बादल गरजते हैं, तब बांस के पेड़ के नीचे छत्तानुमा एक चीज उगती है. जब कभी इसे पकाया गया होगा, तो इसका स्वाद मटन-चिकन से भी शानदार रहा होगा. इसी के साथ भारतीय जायके मे…और पढ़ें

बालाघाट. मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले को जंगल के लिए जाना जाता है. यहां पर करीब 53 प्रतिशत भू-भाग पर जंगल है. ऐसे में यहां के लोग काफी हद तक वनों पर निर्भर हैं. इस समय बरसात के दिन चल रहे हैं. ऐसे में ग्रामीण अंचलों के लोगों के लिए मशरूम अतिरिक्त आय का स्त्रोत बन रहा है. इसमें तरह-तरह के जंगल के मशरूम अब शहरों के किचन में जगह बना रहे हैं. इसी में से एक है बांस पिहरी, जिसे लोग बड़े ही चाव से खाते हैं. आइए जानते हैं बांस पिहरी के बारे में.

बारिश के दिनों में जब बादल गरजते हैं, तब बांस के पेड़ के नीचे छत्तानुमा एक चीज निकलती है. इसे जब पकाया गया होगा, तो इसका स्वाद चिकन-मटन से भी शानदार रहा होगा. इसी के साथ भारतीय खाने में एक डिश ने अपनी जगह बनाई, जिसे अब हम बांस पिहरी कहने लगे. अब यह बालाघाट के बाजारों में बिकने लगी है. खास बात यह है कि यह बारिश के मौसम में सिर्फ दो महीने (जुलाई और अगस्त) में ही मिलती है.

मशरूम तो बहुत खाते होंगे..मगर क्या जानते हैं कैसे होता तैयार, एक्सपर्ट ने बताया तरीका

सुबह पांच बजे जाते हैं जंगल
बांस पिहरी को तोड़ने के लिए लोग सुबह करीब पांच बजे से ही जंगल चले जाते हैं. इसे तोड़ने का सबसे अच्छा समय सुबह पांच बजे से लेकर सुबह 7 बजे तक का ही है. ऐसे में लोग सुबह जल्दी उठ जाते हैं. कड़ी मेहनत और रिस्क के साथ ही यह सब्जी शहरों तक आती है. इसमें भी लोग काफी मोलभाव करते हैं और कीमत कम करने की बात करते हैं. फिलहाल इसकी कीमत 1000 रुपये किलो है.

न खाद, न दवाई, बिल्कुल जैविक
रासायनिक खेती के दौर में जैविक खेती के उत्पादों का मार्केट काफी पनप रहा है लेकिन बांस पिहरी में ऐसा नहीं है. ये बिल्कुल जंगल में उगती है. वहीं यह पूरी तरह शुद्ध होती है, जो पनपने के लिए प्रकृति से ही सारे पोषक तत्व लेती है और अपना विकास करती है.

homemadhya-pradesh

बांस पिहरी के आगे चिकन-मटन भी फेल, कीमत 1000 रुपये किलो



Source link