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Khargone News: दारूक की भक्ति से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए. दारूक ने प्रार्थना की कि भगवान यहीं विराजमान हो जाएं और आने वाली पीढ़ियों को भी दर्शन दें. इस पर महादेव अर्धनारीश्वर रूप में उस स्थान प…और पढ़ें
धारेश्वर मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के सारथी दारूक को माता पार्वती ने श्राप दिया था, जिसके कारण उन्हें धरती पर जन्म लेना पड़ा. मृत्युलोक में उन्होंने देवत शर्मा नामक व्यक्ति के घर जन्म लिया. 14 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और नर्मदा परिक्रमा पर निकल पड़े. परिक्रमा पूरी करने के बाद दारूक खेगांव पहुंचे और तपस्या शुरू की.
भगवान शिव ने दिए दर्शन
कहा जाता है कि दारूक की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें यहीं दर्शन दिए. दारूक ने प्रार्थना की कि प्रभु यहीं विराजें और आने वाली पीढ़ियों को भी दर्शन दें. इस पर भगवान शिव अर्धनारीश्वर रूप में उस स्थान पर प्रकट हुए और तब से यहां विराजित हैं. इस तरह दारूक ने श्राप से मुक्ति पाई. इसी वजह से इस स्थान को दारुकेश्वर भी कहा जाता है.
धारेश्वर मंदिर के पुजारी कैलाश गिरी और जितेंद्र गोस्वामी लोकल 18 को बताते हैं कि सावन में हर सोमवार विशेष पूजा होती है. भगवान शिव का फूलों से भव्य श्रृंगार किया जाता है. मध्य प्रदेश ही नहीं, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर में परिक्रमा वासियों और यात्रियों के लिए भंडारे की व्यवस्था भी की जाती है.
पूरी होती है हर मन्नत
माना जाता है कि धारेश्वर महादेव मंदिर में मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. सावन के महीने में यह स्थान शिवभक्तों से गुलजार हो जाता है. कई लोग कांवड़ लेकर भगवान शिव को जल चढ़ाने आते हैं. नर्मदा किनारे बसे इस छोटे से गांव में हर तरफ ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे गूंजते हैं. धारेश्वर मंदिर आज क्षेत्र का एक प्रसिद्ध मंदिर बन चुका है. यहां देवी-देवताओं की कई प्राचीन मूर्तियां भी विराजित हैं.
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