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Sagar News: इससे हर रोज चार करोड़ लीटर पानी साफ किया जा सकता है. सागर नगर निगम क्षेत्र में 209 किमी लंबी पाइपलाइन डाली गई है. इसके लिए 9 हजार होल चैंबर बनाए गए हैं. 12 हजार प्रॉपर्टी चैंबर तैयार किए गए हैं और च…और पढ़ें
सीवर के पानी को घर से लेकर ट्रीटमेंट प्लांट तक भेजने की लंबी प्रक्रिया है. इसके लिए पथरिया हाट में 15 एकड़ की जगह में सीवर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट 10 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है, जो 4 करोड़ 30 लाख लीटर क्षमता वाला प्लांट है. रोजाना इससे चार करोड़ लीटर पानी साफ किया जा सकता है. इसके लिए सागर नगर निगम क्षेत्र में 209 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन डाली गई है. 9000 होल चैंबर बनाए गए हैं. 12000 प्रॉपर्टी चैंबर तैयार किए गए हैं और चार पंपिंग स्टेशन हैं, जिनकी सहायता से घरों से निकलने वाला सीवर का गंदा पानी 10 किलोमीटर दूर पथरिया में स्थित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट तक भेजा जाता है.
क्या है पानी साफ करने की प्रक्रिया?
घरों से निकलने वाला सीवरेज का पानी पंपिंग स्टेशन तक पहुंचता है. पंपिंग स्टेशन में 450 हॉर्स पावर मोटर से 1800 क्यूबिक सीवरेज प्रति घंटे पाइपलाइन द्वारा सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के इनलेट चैंबर में पहुंचाया जाता है, जिसका सैंपल लिया जाता है. सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में सबसे पहले मैकेनिकल और मैनुअल टेस्ट स्क्रीनिंग द्वारा प्लास्टिक और शैंपू पाउच आदि को सीवर से अलग किया जाता है. ग्रिड चैंबर की मदद से रेत-कंकड़ जैसे पार्टिकल हटाए जाते हैं. तेल और ग्रीस चैंबर में तैलीय पदार्थ अलग होने के बाद पानी बेसिन टैंकों में पहुंचता है. यहां 180 मिनट की प्रक्रिया में 90 मिनट फिलिंग और ब्लोअर की मदद से एयरेशन होता है. रिसर्कुलेशन एक्टिव पंप सीवरेज टैंक में लगातार घूमते हैं. इससे ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है और पानी को स्वच्छ करने वाले बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं. इसके बाद 45 मिनट में सेडिशन होता है, जिससे ट्रीटेड वॉटर को छोड़कर वेस्ट निचली सतह पर जम जाती है.
लैब में होती है जांच
इस पूरी प्रक्रिया के बाद डिकेडर की मदद से 45 मिनट में डिकेंडिंग की जाती है और ऊपरी सतह से ट्रीटेड वॉटर पाइपलाइन द्वारा क्लोरीन कांटेक्ट टैंक में पहुंचाया जाता है. क्लोरीन टैंक से कुछ ट्रीटेड वॉटर आउट बाल चैंबर में पहुंचता है. यहां इसका सैंपल लेकर लैब में जांच की जाती है. इनलेट चैंबर और आउटबॉल चैंबर से लिए सैंपलों में मानक अनुसार निर्धारित जांच के बाद उचित गुणवत्ता का पानी उपयोग में लिया जाता है.