संतराम हत्याकांड में पहली अपर सत्र न्यायाधीश सेवढ़ा की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपी मानिक उर्फ मनोज यादव, अत्तर सिंह यादव और राघवेन्द्र यादव को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और आर्थिक जुर्माने स
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मामला दिसंबर 2018 का है। फरियादी बीरेंद्र सिंह ने पुलिस को सूचना दी थी कि 4-5 दिसंबर की रात करीब 11:45 बजे उसका छोटा भाई संतराम घर के पास स्थित दुकान में सोया हुआ था। उसी दौरान गांव के ही तीन युवक मनोज, राघवेन्द्र और अत्तर सिंह वहां आए। मनोज ने संतराम से गुटखा मांगा और फिर बातचीत करते हुए उसे अपने साथ ले गया। देर रात तक जब संतराम नहीं लौटा, तो बीरेंद्र ने उसे तलाशना शुरू किया।
कुएं में मिली थी संतराम की लाश तलाशी के दौरान गांव के रघुवीर अहिरवार के मकान के पास खून के निशान मिले, जो प्रजापति मोहल्ला के सरकारी कुएं तक जा रहे थे। जब बीरेंद्र ने कुएं में झांका, तो अंदर पानी पर उसका भाई संतराम की लाश उतरती मिली। शव को बाहर निकाला गया तो वह नग्न अवस्था में था और शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे।
रंजिश में कुल्हाड़ी से की गई थी हत्या जांच में सामने आया कि पुरानी रंजिश के चलते आरोपियों ने कुल्हाड़ी से वार कर संतराम की बेरहमी से हत्या कर दी और शव को ठिकाने लगाने के लिए कुएं में फेंक दिया। गवाहों के बयान और पुख्ता सबूतों के आधार पर अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए उम्रकैद और पांच-पांच हजार रुपए जुर्माना की सजा से दंडित किया है।
यह मामला जिला प्रशासन द्वारा चिह्नित जघन्य अपराधों की सूची में था। शासन की ओर से एडीपीओ प्रकाश सिंह नरवरिया ने पैरवी की।