बारिश में हनुमानताल तालाब की ऐसी है स्थिति।
जबलपुर शहर के बीच में बसा ऐतिहासिक धरोहर हनुमानताल तालाब भष्ट्राचार की भेंट चढ़ गया है। वर्षों से आम जनमानस की धार्मिक भावनाओं व आस्था का केंद्र बिंदु रहे तालाब पर लोगों को आक्रोश बढ़ रहा है। आरोप है कि नगर निगम और कुछ नेताओं ने तालाब सफाई, सौंदर्यीक
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पूर्व विधायक विनय सक्सेना ने शुक्रवार को आर्थिक अन्वेषण ब्यूरों (EOW) को एक शिकायत पत्र सौंपकर मांग की है कि हनुमानताल तालाब के निर्माण में हुए भष्ट्राचार की उच्च स्तरीय जांच की जाए। पूर्व विधायक ने ईओडब्ल्यू के एसपी अनिल विश्वकर्मा को शिकायत पत्र दिया है।
उत्तर-मध्य विधानसभा के पूर्व विधायक विनय सक्सेना ने बताया कि शहर के बीच में करीब दो एकड़ का तालाब है, जिसके लिए नगर निगम ने 2 करोड़ 60 लाख रुपए का टेंडर निकाला। आरोप है कि सिर्फ 20 से 30 लाख रुपए खर्च करते हुए निगम ने करोड़ों का काम दिखा दिया। पूर्व विधायक ने कहा कि जलाशय सफाई के नाम पर लापरवाही बरती गई, जिसके कारण इसमें से सिल्ट नहीं निकल पाई। जलकुम्भी और प्रदूषण फैलाने वाली घास तेजी से बढ़ रही हैं।
अमृत योजना के अंतर्गत हनुमानताल को स्वच्छ बनाने का कार्यक्रम नगर निगम ने चलाया। करीब 1.60 करोड़ से ज्यादा की दो अलग-अलग निविदाएं जारी की, एवं दो अलग-अलग ठेकेदारों को निविदा स्वीकृत कर कार्य शुरू कराया गया था, परंतु कार्य अत्यंत धीमी गति के चलते वर्षा ऋतु आ गई, ऐसा प्रतीत भी हुआ कि शायद भष्ट्राचार के लिए नगर निगम को बारिश का ही इंतजार था। करोड़ों के समय पर ना ही कार्य हुए और ना तो सिल्ट की निकाली गई। इतना ही नहीं निगम का जो दावा था कि घाटों का जीर्णोद्घार पूर्ण रूप से किया जाएगा, वह भी नहीं हुआ।

पूर्व विधायक ने कहा कि पूरी गर्मी भर तालाब में मशीनें और ट्रक को कई दिनों तक खड़ा करते हुए दिखावा किया गया। परिणाम स्वरूप कुछ राशि ही इस कार्य में व्यय की जा सकी। विनय सक्सेना ने आरोप लगाया कि तालाब सफाई कार्य में नगर निगम और कुछ नेताओं के द्बारा भारी भ्रष्टाचार किया गया हैं। जिर्णाद्धार के नाम पर करोड़ों रूपए का बंदरबांट किया गया है। उन्होंने बताया कि मेरे कार्यकाल में जब निविदा बनी थी, तो वह ढाई करोड़ रुपए की थी, जिसमें एसटीपी प्लांट था,चारों तरफ फुटपाथ, बीच मे ग्रिल लगाकर आने-जाने का प्रावधान था, जिससे कि तालाब सुंदर दिखाई देता।

विनय सक्सेना ने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद तालाब में चार चांद तो नहीं लगे, पर गर्मी भर तालाब में मशीनों से काम होता दिखाई नहीं दिया, सिर्फ नाम के लिए खड़ी रही। मशीनों से अगर सिल्ट निकाली गई, तो उसे डाला कहां गया, नगर निगम ये बता दे। आज जबलपुर की जनता पूछ रही है कि तालाब सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए आखिर कहां खर्च हो गए। उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक ने अगर राशि दी है, तो वो कहां गई। लोगों ने तालाब में जाकर पूजापाठ की फोटो खिचाई, फिर भष्ट्राचार भी किया। विनय सक्सेना ने ईओडब्ल्यू एसपी से मांग है कि जल्द से जल्द तालाब में हुए भष्ट्राचार की जांच करे, और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

कांग्रेस के ये है सवाल
– हनुमानताल तालाब के जीर्णोद्धार हेतु कितनी राशि की स्वीकृति की गई।
– स्वीकृत निविदा में क्या दरे आई थी।
– क्या-क्या कार्य डी.पी.आर. के अंतर्गत होना था।
– क्या डी.पी.आर. में स्वीकृत सभी कार्य पूर्ण हो गए हैं।
– कितनी राशि का भुगतान किया जा चुका है तथा कितना भुगतान बाकी है।
– क्या जिस उद्देश्य से कार्य शुरू किया गया था यह कार्य सफलता के साथ पूर्ण किए जा सके।
– प्रदेश के किस-किस विभाग से कितनी राशि इस कार्य के सहयोग हेतु प्राप्त की गई।
– क्या सांसद, विधायक, पार्षद मद, से भी इस कार्य हेतु राशि प्राप्त हुई है।