Snake News: सांप के जहर का काट है इन दो देसी पोधों का रस, अस्पताल पहुंचने तक बची रहेगी जान!

Snake News: सांप के जहर का काट है इन दो देसी पोधों का रस, अस्पताल पहुंचने तक बची रहेगी जान!


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Snake Prevention Tips: सांप काटे तो तुरंत अस्पताल पहुंचने की कोशिश करें. लेकिन, अगर हो सके तो इसके पहले इन दो में से किसी एक पौधे का रस इस्तेमाल कर सकते हैं. जानें सब….

हाइलाइट्स

  • सांप काटने पर तुरंत अस्पताल पहुंचें
  • परशिया पेड़ का रस सांप के जहर को रोकने में मदद करता है
  • सियान आक का दूध जहर के फैलाव को रोक सकता है
Tips And Tricks: बारिश के मौसम में सांप का खतरा बहुत होता है. खासकर ग्रामीण इलाकों में सांपों के निकलने और काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. दुर्भाग्य से हर जगह तुरंत और आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं. ऐसे में सदियों से आजमाई जा रही कुछ पारंपरिक और देसी जड़ी-बूटियां जीवन रक्षक साबित हो सकती हैं. आयुर्वेद एमडी डॉ. शंकर प्रसाद वैश्य कहते हैं कि ये विधियां केवल प्राथमिक उपचार के रूप में या तत्काल चिकित्सा सहायता मिलने तक के लिए हैं.

सांप के काटने की किसी भी घटना में बिना देर किए विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करना ही सबसे प्रभावी इलाज है. डॉ. शंकर प्रसाद वैश्य बताते हैं कि भारत में कई ऐसे पौधे हैं जिन्हें पारंपरिक रूप से सांप के जहर के उपचार में उपयोग किया जाता रहा है. इनमें से दो प्रमुख पौधे हैं – परशिया का पेड़ (Parsia Tree) और सियान आक (Sian Aak). ये दो पौधे तत्काल सांप के जहर को फैलने से रोकने में कारगर हैं.
परशिया का पेड़ (Parsia Tree)
‘कालमेघ’ या ‘चिरायता’ यह पौधा अपने तीव्र कड़वे स्वाद और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. पारंपरिक रूप से इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के संक्रमणों, बुखार और विषैले सर्प के काटने पर किया जाता है. यह एक छोटा-सीधा पौधा होता है, जिसकी पत्तियां लंबी, नुकीली और गहरे हरे रंग की होती हैं. इसका पूरा पौधा बहुत कड़वा होता है. कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में सांप काटने पर कालमेघ की ताज़ी पत्तियों को पीसकर उसका रस निकाला जाता है और रोगी को तुरंत पिलाया जाता है. माना जाता है कि इसकी कड़वाहट और औषधीय गुण जहर के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं. कुछ वैद्य इन पत्तियों को पीसकर लेप बनाकर सांप के काटे स्थान पर भी लगाते हैं, हालांकि यह कम प्रभावी माना जाता है.

सियान आक (Sian Aak)
‘श्वेत आक’ या ‘मंदार’ यह पौधा अपने सफेद दूधिया लेटेक्स (दूध) के लिए जाना जाता है. जो जहरीला होता है. लेकिन, पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग सावधानी से किया जाता है. इसकी पत्तियां मोटी और मांसल होती हैं और फूल सफेद या हल्के बैंगनी रंग के होते हैं. सियान आक की शाखा तोड़ने पर सफेद दूध निकलता है. कुछ पारंपरिक चिकित्सक सांप काटने पर कटे हुए स्थान पर आक के दूध की कुछ बूंदें लगाते हैं. माना जाता है कि यह दूध जहर के फैलाव को रोकने में मदद करता है.

इसके इस्तेमाल पर बचें
हालांकि, यह बहुत ही विवादास्पद और खतरनाक तरीका है क्योंकि आक का दूध खुद त्वचा पर जलन पैदा कर सकता है और अगर आंतरिक रूप से लिया जाए तो अत्यधिक जहरीला होता है. कुछ स्थानों पर पत्तियों को गर्म करके या पीसकर लेप के रूप में कटे स्थान पर बांधा जाता है, जिसे जहर को खींचने वाला माना जाता है. आक का पौधा अत्यधिक जहरीला होता है, विशेषकर इसका दूध (लेटेक्स). इसका उपयोग करते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए. इसका उपयोग केवल उन लोगों द्वारा किया जाना चाहिए जिन्हें इसके पारंपरिक उपयोग का गहरा ज्ञान हो.

ये सिर्फ विकल्प, सांप काटे तो कैसे भी अस्पताली पहुंचें…
डॉक्टर के अनुसार, यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये केवल पारंपरिक उपचार हैं. आधुनिक एंटी-वेनम का विकल्प नहीं हैं. सांप के काटने की किसी भी स्थिति में, जीवन बचाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है तत्काल अस्पताल पहुंचना और चिकित्सा विशेषज्ञों की देखरेख में इलाज कराना. इन देसी उपायों का उपयोग केवल अंतिम विकल्प के रूप में और अत्यधिक सावधानी के साथ ही करें.

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सांप के जहर का काट है इन दो देसी पोधों का रस, अस्पताल पहुंचने तक बची रहेगी जान



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