बालाघाट में कारगिल दिवस पर पूर्व सैनिकों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर पूर्व सैनिकों ने हाथों में तिरंगा लेकर भारत माता और शहीदों के जयघोष लगाए।
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भूतपूर्व सैनिक संगठन के जिलाध्यक्ष संजीव धुवारे ने अपने कारगिल युद्ध के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि 5 अगस्त 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान वे सियाचीन में बनी एक नई पोस्ट पर तैनात थे। इस पोस्ट पर उन्हें पांच लोगों के साथ दो इन बैरल गन के साथ पाकिस्तानी सैनिकों को रोकने के लिए तैनात किया गया था।
धुवारे ने बताया कि उनके साथियों ने जोश और जज्बे के साथ पाकिस्तान की ओर से हो रही गोलीबारी का जवाब दिया। उनकी टुकड़ी ने पाकिस्तान सीमा में बनी लाल पोस्ट को भी तबाह किया था। टाइगर हिल्स पर कब्जा करने में भी उनकी रेजिमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
संजीव धुवारे वर्तमान में 402 लाइट एडी रेजिमेंट से रिटायर होकर भूतपूर्व सैनिक संगठन के जिलाध्यक्ष का दायित्व निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध में देश की सेना का मनोबल बहुत ऊंचा था। यही कारण था कि सेना के जवानों ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।
उस दौर की 3 तस्वीरें देखिए…


उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध की विजय उन बहादुर सैनिकों के कारण मिली है, जिन्होंने लड़ते-लड़ते अपना जीवन बलिदान कर दिया।
कारगिल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सुनिल पालेवार, महेश नगपुरे, लेखराम गौतम, चैतराम बंसोड़, रामसिंह बैस, शिवशंकर धमकाए, गणेश धाने, निकेश बिसेन, राजेन्द्र अग्रवाल, श्यामलाल बघेल और दिवंगत सैनिक की पत्नी सरिता बिसेन सहित अन्य पूर्व सैनिक उपस्थित थे।