महिला ने दिया सांप को जन्म, बेटे की तरह पाला, जायदाद में दिया हिस्सा, 375 साल पहले की घटना, आज यहां सिद्ध मंदिर

महिला ने दिया सांप को जन्म, बेटे की तरह पाला, जायदाद में दिया हिस्सा, 375 साल पहले की घटना, आज यहां सिद्ध मंदिर


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Nag Panchami Special: मध्य प्रदेश के खरगोन में 375 साल पहले अनोखी घटना घटी थी. यहां एक महिला ने सांप को जन्म दिया, जिसे बेटे की तरह पाला. आज वहां सिद्ध मंदिर है. जानें कहानी और महत्व…

हाइलाइट्स

  • मध्य प्रदेश में कहां है सिद्धनाथ महादेव मंदिर
  • सिद्धनाथ महादेव मंदिर की अनोखी महिमा जानें
  • महिला ने सांप को जन्म दिया, बेटे की तरह पाला
Nag Panchami News: नाग पंचमी पर पूरे देश में नागों की पूजा होती है, लेकिन मध्य प्रदेश के खरगोन में एक ऐसी जगह है, जहां नाग की पूजा किसी देवता के रूप में नहीं, बल्कि परिवार के बेटे के रूप में होती है. जी हां, यह कोई लोककथा या पौराणिक कहानी नहीं है, बल्कि 375 साल पुरानी एक सच्ची घटना है. यहां एक महिला के गर्भ से सांप ने जन्म लिया था. जिसे परिवार ने बेटे की तरह पाला. जायदाद में बराबरी का हिस्सा भी दिया.

यह घटना खरगोन के भावसार मोहल्ले की है. यहां करीब 375 साल पहले एक महिला के गर्भ से नाग ने जन्म लिया था. महिला के कुल चार बेटे थे. परिवार ने इस अलौकिक संतान को त्यागने के बजाय ‘सिद्धू’ नाम दिया और चारों बेटों की तरह उसका पालन-पोषण किया. सभी साथ खेलते थे. एक ही घर में रहते थे. खास बात ये रही कि जब घर में संपत्ति का बंटवारा हुआ, तब नाग सिद्धू को भी बराबरी का हिस्सा दिया गया. आज भी उस हिस्से की संपत्ति मौजूद है.

1651 में हुआ सिद्धू का जन्म
परिवार के अशोक मल्लीवाल बताते हैं कि संवत 1608 यानी सन् 1651 में उनके पूर्वज प्रथव राजवीर और जानकी बाई को चार संतानें हुई थीं. उनमें से तीन मनुष्य योनि में और एक नाग योनि में जन्मा. नाग पुत्र सिद्धू को घर के अन्य बच्चों की तरह ही पाला गया. जब परिवार में तीन संतानों को संपत्ति का बंटवारा दिया गया तो सिद्धू ने उसे स्वीकार्य नहीं किया. फिर परिवार ने सिद्धू को भी बराबरी का हिस्सा दिया.

बना सिद्धनाथ महादेव मंदिर 
परिवार के बुजुर्ग गुलाबचंद भावसार बताते हैं कि सिद्धू के हिस्से की संपत्ति पर बाद में एक डेरा बना दिया गया. वहीं, उनकी समाधि बनाई गई. उसी स्थान पर एक शिवलिंग की स्थापना की गई. आज यह जगह सिद्धनाथ महादेव मंदिर के नाम से जानी जाती है. लोग शहर के अधिष्ठाता के रूप में सिद्धू को पूजते हैं. सावन में और नाग पंचमी पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. कई भक्तों का दावा है कि उन्हें यहां नाग देवता के दर्शन भी हुए हैं.

इसी घर में होता है शुभ कार्य
इस मंदिर के पीछे एक पुराना मकान भी है, जो सिद्धू के हिस्से में है. मकान आज भी उसी पुराने स्वरूप में मौजूद है. यहां परिवार के लोग निवास भी करते हैं. घर के अंदर आज भी नाग से जुड़ी आकृतियां दीवारों पर बनी हुई हैं. यही नहीं, परिवार के लोग आज भी हर शुभ काम की शुरुआत इसी मकान से करते हैं. उनके लिए यह कोई साधारण भवन नहीं, बल्कि आस्था और पूर्वजों की विरासत का प्रतीक है.

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