‘मानसिक विकृति’ की जगह अब बौद्धिक दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल: उज्जैन के पंकज मारु ने 7 करोड़ दिव्यागों को दिलाया सम्मान, कोर्ट में लड़ी लड़ाई – Ujjain News

‘मानसिक विकृति’ की जगह अब बौद्धिक दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल:  उज्जैन के पंकज मारु ने 7 करोड़ दिव्यागों को दिलाया सम्मान, कोर्ट में लड़ी लड़ाई – Ujjain News


भारतीय रेलवे ने फैसला किया है कि अब वह मानसिक रूप से दिव्यांगों के लिए जारी करने वाले रियायती पास पर ‘मानसिक विकृति’ शब्द की जगह ‘बौद्धिक दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल करेगा। रेलवे ने 1 जून 2025 से इस फैसले को अमल में लाना शुरू कर दिया है। इसका फायदा दे

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दरअसल, पंकज मारु की 26 साल की बेटी सोनू मानसिक रूप से दिव्यांग है। उन्होंने अपनी बेटी के लिए रेलवे से रियायती पास बनवाया था। उस पर मानसिक विकृति शब्द लिखा देख उन्हें लगा कि ये दिव्यांगों का अपमान है। मारु ने इसके खिलाफ पिछले साल दिल्ली स्थित मुख्य दिव्यांगजन आयुक्त के कोर्ट में याचिका लगाई थी। डॉ. पंकज मारु ने खुद इस मामले की पैरवी की।

एक साल तक चली लड़ाई के बाद कोर्ट ने 14 जुलाई को रेलवे को शब्दावली बदलने के आदेश दिए । रेलवे ने आदेश से पहले मई में ही इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। पढ़िए ये कैसे मुमकिन हुआ..

1 जून 2025 से पहले जारी रियायती पास पर रेलवे लिख रहा था ‘मानसिक विकृति’

अधिकारियों को शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ डॉ. पंकज मारु बताते हैं कि साल 2019 में उन्होंने अपनी बेटी सोनू के लिए रेलवे से रियायती पास बनवाया था। इसमें विकलांगता की प्रकृति वाले कॉलम में लिखा था मानसिक विकृति। अपनी बेटी के लिए ये शब्द मुझे अपमानजनक लगा। मेरी बेटी 65 फीसदी मानसिक दिव्यांग है, न कि विकृत।

मैंने रियायती पास में इस शब्द को बदलवाने के लिए पश्चिम रेलवे, रेलवे बोर्ड और संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया। कई बार रेलवे के चेयरमैन और डीआरएम को पत्र लिखे। अधिकारियों की तरफ से मुझे कोई जवाब नहीं मिला।

डॉ. मारु ने मामले की खुद पैरवी की याचिका दायर होने के तीन दिन बाद यानी 15 जुलाई 2024 को कोर्ट ने रेलवे को एक नोटिस जारी किया और पूछा कि क्या इस शब्द को बदला जा सकता है। 4 सितंबर 2024 को रेलवे ने इस नोटिस का जवाब देते हुए लिखा कि इस शब्द को नहीं बदला जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने मारु से पूछा कि वे अब क्या करना चाहते हैं? तो मारु ने 25 सितंबर को दोबारा सुनवाई के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई।

जब इस मामले की सुनवाई हुई तो डॉ. मारु ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला दिया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम, 2016 (Rights of Persons with Disabilities Act, 2016) की धारा 92(क) [Section 92(a)] में यह प्रावधान किया गया है,

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यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थल पर किसी दिव्यांगजन (PwD) का जानबूझकर अपमान करता है या उसे नीचा दिखाने के इरादे से डराता-धमकाता है, तो वह अत्याचार (Atrocity) के अपराध का दोषी माना जाएगा और उसे दंडित किया जाएगा।

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मारु कहते हैं कि मैंने कोर्ट को बताया कि रेलवे एट्रोसिटी एक्ट का उल्लंघन कर रहा है और उसके खिलाफ इस एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया जा सकता है। ऐसे अपराध के लिए दो साल का कारावास या जुर्माना, दोनों का प्रावधान है। इस धारा का उद्देश्य दिव्यांगजनों के साथ किसी भी प्रकार के अपमानजनक, भेदभावपूर्ण या डराने-धमकाने वाले व्यवहार को रोकना और उनके सम्मान एवं गरिमा की रक्षा करना है।

कोर्ट ने आदेश दिया एक महीने में बदले शब्द

कोर्ट ने 28 फरवरी 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। 17 जुलाई को कोर्ट ने रेलवे को निर्देश देते हुए कहा कि ऐसे शब्द न केवल असंवेदनशील हैं, बल्कि ये दिव्यांगजनों की गरिमा के साथ खिलवाड़ है। रेलवे एक महीने के अंदर एक कमेटी बनाकर इस शब्द को बदले। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि रेलवे को भविष्य में सभी रियायती पास या प्रमाण पत्रों में उचित और गरिमापूर्ण भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।

रेलवे ने जारी किया शब्द बदलने का सर्कुलर

रेलवे को आखिरकार इस मामले में अपना रवैया बदलना पड़ा। 9 मई को रेलवे की तरफ से एक सर्कुलर जारी किया गया। इसमें रेलवे ने लिखा कि अब रियायती पास या प्रमाण पत्रों पर मानसिक रूप से कमजोर ( mental retardation) की जगह बौद्धिक अक्षमता यानी intellectual disability शब्द का इस्तेमाल होगा। रेलवे ने ये बताया कि 1 जून 2025 से ये प्रभावी होगा। इसके लिए एक नया प्रोफॉर्मा भी जारी किया गया।

रेलवे ने 9 मई को ये सर्कुलर जारी किया था।

रेलवे ने 9 मई को ये सर्कुलर जारी किया था।

1 जून के बाद अब रेलवे रियायती पास पर लिख रहा है ‘बौद्धिक दिव्यांग जो बिना सहायता के यात्रा नहीं कर सकते’

ये रियायती पास 25 जून 2025 को जारी किया गया है। इसमें रेलवे ने शब्द बदल दिया है।

ये रियायती पास 25 जून 2025 को जारी किया गया है। इसमें रेलवे ने शब्द बदल दिया है।



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