सुपोषण अभियान या सिर्फ प्रचार! ग्वालियर में 136 बच्चों पर कुपोषण का कहर, प्रियंका की हालत ने खड़े किए सवाल

सुपोषण अभियान या सिर्फ प्रचार! ग्वालियर में 136 बच्चों पर कुपोषण का कहर, प्रियंका की हालत ने खड़े किए सवाल


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Gwalior News: ग्वालियर में 3 महीनों में 136 अति कुपोषित बच्चे मिले हैं. डबरा की 2 साल की प्रियंका का वजन सिर्फ 4.3 किलो है, जो पोषण योजनाओं की विफलता दर्शाता है. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल उठे हैं.

Malnutrition

हाइलाइट्स

  • ग्वालियर में 136 मासूम संकट
  • कुपोषण से कराह रहा ग्वालियर
  • कुपोषण की चुभती सच्चाई
सुशील कौशिक/ ग्वालियर. ग्वालियर जिले में कुपोषण एक गंभीर और चिंताजनक स्थिति का रूप ले चुका है. हाल ही में सामने आए आंकड़ों ने जिले की पोषण व्यवस्था की पोल खोल दी है. जिले में सिर्फ तीन महीनों में 136 अति कुपोषित बच्चों की पहचान की गई है, जिससे स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

136 अति कुपोषित बच्चों की पहचान
सबसे दिल दहला देने वाला मामला डबरा क्षेत्र से सामने आया, जहां 2 साल 2 महीने की बच्ची प्रियंका आदिवासी गंभीर रूप से अति कुपोषित पाई गई. प्रियंका का वजन मात्र 4 किलो 300 ग्राम है, जबकि इस उम्र के बच्चे का सामान्य वजन लगभग 12 किलो होना चाहिए. इतना ही नहीं, बच्ची के बाहों की नाम (माप) सिर्फ 7 सेंटीमीटर है, जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अति गंभीर स्थिति को दर्शाता है.

प्रियंका को उसकी नाजुक हालत के चलते जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज जारी है. हालांकि प्रियंका अकेली नहीं है. 20 बिस्तरों की क्षमता वाले NRC में फिलहाल 24 बच्चे भर्ती हैं, जो यह दर्शाता है कि जिले में कुपोषण का स्तर अपेक्षाकृत ज्यादा है और स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव है.

इस भयावह स्थिति ने पोषण आहार योजना, सुपोषण अभियान और आंगनवाड़ी केंद्रों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल यह है कि जब केंद्र और राज्य सरकारें करोड़ों रुपये पोषण योजनाओं पर खर्च कर रही हैं, तब इतनी बड़ी संख्या में बच्चे अति कुपोषण का शिकार कैसे हो रहे हैं? क्या ग्राउंड लेवल पर योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं हो रहा?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर पोषण युक्त भोजन, मां की जागरूकता, स्तनपान की सही जानकारी और सरकारी योजनाओं की सक्रिय भागीदारी ही कुपोषण को रोका जा सकता है. अगर समय रहते स्थिति को नहीं संभाला गया तो आने वाले समय में यह संकट और गहराता चला जाएगा.

इस स्थिति ने न सिर्फ सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी साबित किया है कि कुपोषण अब भी हमारे समाज की एक खामोश लेकिन जानलेवा त्रासदी बना हुआ है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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