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Indore News: इंदौर की शासकीय स्कूल टीचर चंद्रकांता जेठानी को ओस्टियो जेनेसिस इंपरफेक्टा नामक हड्डी रोग है. हर दिन असहनीय दर्द होता है. बावजूद हर रोज वह व्हीलचेयर पर लेटकर स्कूल जाती है और बच्चों को पढ़ाती है.
जब शरीर जवाब दे दे, तब भी अगर कोई अपने कर्तव्य से पीछे न हटे तो वो मिसाल बन जाता है. इंदौर की एक महिला टीचर चंद्रकांता जेठानी ऐसी ही मिसाल हैं. असाध्य बीमारी से जूझते हुए वे पिछले चार साल से व्हीलचेयर पर लेटकर बच्चों को पढ़ा रही हैं. अब उनका दर्द इस कदर बढ़ गया है कि उन्होंने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है.

चंद्रकांता जेठानी इंदौर के शासकीय प्राथमिक विद्यालय, जूना रिसाला में शिक्षिका हैं. साल 2020 में उन्हें ओस्टियो जेनेसिस इंपरफेक्टा नाम की दुर्लभ हड्डी रोग की शिकायत हुई. इलाज के दौरान उन्होंने एक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से संपर्क किया. आरोप है कि डॉक्टर की दी गई गलत दवाई से उनकी हालत और बिगड़ गई. उनकी हड्डियां सिकुड़ गईं और चलना-फिरना तो दूर, बैठना तक मुश्किल हो गया.

शारीरिक स्थिति बिगड़ने के बावजूद उन्होंने स्कूल जाना बंद नहीं किया. घर में अकेली होने के कारण पड़ोसियों ने उन्हें हॉस्पिटल तक पहुंचाया. इलाज के बाद भी जब सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने ऑटो चालक और केयरटेकर की मदद ली, जो अब हर दिन उन्हें स्कूल लाते और वापस घर छोड़ते हैं. स्कूल में वे व्हीलचेयर पर लेटकर ही बच्चों को पढ़ा रही हैं.

हर दिन उन्हें 7-8 घंटे लेटे-लेटे बिताने पड़ते हैं, जो उनके लिए बेहद दर्दनाक होता है. चंद्रकांता बताती हैं कि अब उनका दर्द असहनीय हो चुका है. इसी तकलीफ से परेशान होकर उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की इजाजत मांगी है. वे कहती हैं कि न तो ठीक हो पा रही हैं और न ही ये पीड़ा कम हो रही है.

चंद्रकांता ने अपनी पूरी संपत्ति स्कूल के 6 जरूरतमंद बच्चों के नाम कर दी है. वे बताती हैं कि परिवार में कोई नहीं है, और अब यह संपत्ति उन बच्चों के काम आ सके, यही उनकी आखिरी इच्छा है.

इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी पूरी बॉडी भी मेडिकल साइंस के छात्रों के लिए दान कर दी है. उनका मानना है कि भले ही उनका शरीर अब किसी काम का न हो, लेकिन मेडिकल की पढ़ाई करने वालों के लिए यह रिसर्च का विषय जरूर बन सकता है. बीमारी से कमजोर हुई हड्डियां छात्रों के लिए एक केस स्टडी बन सकती हैं.

डॉक्टरों के अनुसार, ओस्टियो जेनेसिस इंपरफेक्टा एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज की हड्डियां बेहद नाजुक हो जाती हैं और मामूली झटके से टूटने लगती हैं. चंद्रकांता के शरीर का निचला हिस्सा पूरी तरह से पैरालाइज हो चुका है. इसके बावजूद वह हर दिन स्कूल में बच्चों के भविष्य को गढ़ रही हैं.

उनके साथी शिक्षक और स्कूल स्टाफ भी उनके हौसले की तारीफ करते हैं. वे बताते हैं कि चंद्रकांता मैडम जैसी जुझारू महिला कम ही देखने को मिलती हैं. बच्चे भी उन्हें बेहद प्यार करते हैं और क्लास में अनुशासन बनाए रखते हैं ताकि मैडम को कोई परेशानी न हो.