दतिया शहर शनिवार को सिंधी समाज की आस्था, उत्साह और संस्कृति से सराबोर नजर आया। अवसर था सिंधी समाज के प्रमुख धार्मिक पर्व ज्योति स्नान महोत्सव का। सुबह 11 बजे गाड़ी खाना स्थित सिंधी मंदिर से निकले चल समारोह ने करन सागर तालाब तक 7 किलोमीटर का सफर लगभग
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बारिश के बीच निकले श्रद्धालु पूरे जोश और भक्ति में लीन नजर आए। झांकियों, डीजे और संतों की उपस्थिति में निकले इस चल समारोह ने शहरवासियों का दिल जीत लिया।
डीजे की धुन पर थिरके श्रद्धालु, जयकारों से गूंजा शहर चल समारोह की शुरुआत जय ज्योतिन वारा के जयकारों और ढोल-ताशों की गूंज के साथ हुई। धार्मिक भजनों पर थिरकते युवाओं की टोलियां, डीजे और बैंड की धुनों पर झूमते श्रद्धालु पूरे रास्ते माहौल को भक्तिमय बनाते रहे। बारिश भी आस्था को नहीं डिगा सकी—श्रद्धालु भीगते हुए डांस करते दिखे।
करन सागर तालाब पर हुआ पवित्र ज्योति स्नान चल समारोह शाम करीब 7 बजे करन सागर तालाब पहुंचा, जहां संतों की उपस्थिति में पवित्र ज्योति का स्नान कराया गया। इसके बाद वहां नई ज्योति प्रज्ज्वलित की गई और रथ के साथ पुनः मंदिर लाया गया, जहां विधिपूर्वक ज्योति की स्थापना की गई।
आकर्षण का केंद्र रहीं भव्य झांकियां समारोह में संत झूलेलाल, शिव-पार्वती, राम दरबार, बाहुबली शिव और हनुमान सहित कई धार्मिक झांकियों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रद्धालु इन झांकियों को देखकर बार-बार ठहरते और नमन करते नजर आए।

श्रद्धालुओं ने जगह-जगह किया स्वागत चल समारोह के मार्ग में जगह-जगह व्यापारियों और स्थानीय नागरिकों ने फूल बरसाकर, जल छिड़ककर और स्वागत सत्कार कर ज्योति का अभिनंदन किया। समाज के लोग चल समारोह के आगे सड़क पर झाड़ू लगाकर और पानी छिड़ककर पवित्र वातावरण बनाए रखने का प्रयास करते रहे।
चल समारोह का मार्ग और सुरक्षा व्यवस्था चल समारोह पंडा की नरिया, राव साहब की हवेली, आनंद टॉकीज रोड, किला चौक, तिगलिया, राजगढ़ चौराहा होते हुए करन सागर पहुंचा। इस दौरान पुलिस प्रशासन द्वारा ट्रैफिक डायवर्ट किया गया ताकि शहर में जाम की स्थिति न बने। दोपहिया वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से निकाला गया।
मंदिर परिसर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ जुट गई थी। ज्योति के दर्शन और चल समारोह में शामिल होने के लिए मंदिर परिसर में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। ज्योति की अगवानी में लोगों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया।
ज्योति स्नान महोत्सव सिंधी समाज की परंपराओं, भक्ति भावना और संस्कृति का अनुपम उदाहरण रहा। यह आयोजन न सिर्फ एक धार्मिक यात्रा था, बल्कि समाज के एकजुट होने और अपनी जड़ों से जुड़ने का उत्सव भी था।


