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Paddy Farming Tips: सतना और आस पास के क्षेत्रों में आमतौर पर 15 अगस्त तक धान की रोपाई की जाती है, इसलिए यह समय नर्सरी तैयार करने और पौधों की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है.
सतना और मैहर क्षेत्र में खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख फसल धान की बुवाई का समय शुरू हो चुका है. जिले भर में 2.67 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती होती है और जुलाई के पहले सप्ताह में ही मानसून सक्रिय हो गया है.

अब खेतों में नमी की कोई कमी नहीं रही जिससे किसानों को फसल की तैयारी में अनुकूल वातावरण मिला है. सहायक संचालक कृषि राम सिंह बागरी ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि सतना और मैहर क्षेत्र में 150 मिमी से अधिक वर्षा हो चुकी है.

ऐसे में मिट्टी में पर्याप्त नमी मौजूद है जिससे किसान खेतों की तैयारी और बुवाई कर सकते हैं. वहीं, शुरुआती एक सप्ताह तक धान के पौधों को पानी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

उन्होंने सलाह दी कि खेतों में उग आई अतिरिक्त घास की एक-दो बार जोताई कर रोटावेटर चलाएं, जिससे चारा भी खेत में मिल जाए और भूमि समतल हो जाए.

उन्होंने बताया कि इस बार किसान डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) पद्धति को भी अपना रहे हैं. अब तक जिले में 6500 हेक्टेयर में डीएसआर से बुवाई हो चुकी है.

तना और आस पास के क्षेत्रों में आमतौर पर 15 अगस्त तक धान की रोपाई की जाती है, इसलिए यह समय नर्सरी तैयार करने और पौधों की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है.

सतना-मैहर क्षेत्र में बकानी रोग, कंडवा और रस चूसने वाले कीड़ों का प्रकोप देखा जाता है. एक्सपर्ट ने सलाह दी कि किसानों को मिट्टी परीक्षण के अनुसार ही नत्रजन युक्त उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए.

अधिक यूरिया डालने से पौधे मुलायम हो जाते हैं जिससे फंगल संक्रमण और कीट प्रकोप बढ़ सकता है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, किसान पोटास का कम इस्तेमाल करते हैं, जबकि यह पौधों को मजबूत बनाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. यदि किसान संतुलित खाद प्रबंधन और समय पर फसल की देखरेख करें तो खरीफ सीजन में अच्छी उपज की पूरी संभावना है.