Ground Report : झालावाड़ हादसे के बाद हरदा में अलर्ट, मौत की छांव में पढ़ रहे बच्चे, जिम्मेदार कौन?

Ground Report : झालावाड़ हादसे के बाद हरदा में अलर्ट, मौत की छांव में पढ़ रहे बच्चे,  जिम्मेदार कौन?


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Ground Report : राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने की घटना के बाद मध्य प्रदेश के हरदा ज़िले में शिक्षा विभाग सतर्क हो गया है. जिले के सभी BEO, BRC और जनशिक्षकों से जर्जर स्कूलों की सूची मांगी गई है. NEW…और पढ़ें

हरदा के जर्जर हो रहे स्‍कूलों को लेकर चिंता जताई गई है.

हाइलाइट्स

  • झालावाड़ में स्‍कूल की छत गिरने के बाद एमपी अलर्ट.
  • सभी सरकारी स्‍कूलों में छत, टैंकर और अन्य पर अलर्ट.
  • नीलगढ़ और शुक्रवारा स्‍कूलों की हालत चिंतााजनक.
हरदा. राजस्थान के झालावाड़ जिले में हाल ही में हुए स्कूल भवन हादसे का असर मध्य प्रदेश के हरदा जिले में भी नजर आने लगा है. एहतियातन शिक्षा विभाग ने जिले के सभी विकासखंड शिक्षा अधिकारियों (BEO), ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटरों (BRC) और जन शिक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र के जर्जर स्कूलों की सूची तत्काल प्रस्तुत करें. उनका कहना है कि जर्जर स्‍कूलों को लेकर किसी तरह का रिस्‍क नहीं लेना चाहते हैं. इस समय रिपोर्ट मांगी गई है; इसके बाद सभी स्‍कूलों की मरम्‍मत की जाएगी. वहीं बच्‍चों के माता-पिता से भी कहा है कि आप सब सतर्क रहें.

NEWS18 की टीम ने जब ज़िले के कुछ स्कूलों का ग्राउंड सर्वे किया, तो तस्वीरें चौंकाने वाली थीं. हरदा के नीलगढ़ गांव का शासकीय प्राथमिक विद्यालय इसकी मिसाल है. यहां 55 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन जिस कमरे में कक्षाएं लग रही हैं, उसकी छत से लगातार पानी गिर रहा है. फर्श पूरी तरह भीग चुका है और दीवारों व पिलरों में दरारें साफ नजर आती हैं. तीन महीने पहले तक पास की पुरानी इमारत में कक्षा लगती थी, लेकिन अब वह पूरी तरह खस्ताहाल हो चुकी है. ग्रामीणों और शिक्षकों का कहना है कि छत कभी भी गिर सकती है. शिकायतें विभाग तक पहुंची हैं, पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

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स्कूल करीब 96 साल पुराना, टपक रही है छत 
दूसरा मामला जिला मुख्यालय स्थित शुक्रवारा प्राथमिक विद्यालय का है. यह स्कूल करीब 96 साल पुराना है और उसकी छत की लकड़ी की बल्लियां सड़ चुकी हैं. यहां बारिश में पानी टपकने लगा, तो शिक्षकों ने कवेलू पर प्लास्टिक डालकर जैसे-तैसे हालात संभाले. प्रभारी प्रधान पाठक माया द्विवेदी बताती हैं कि यहां 220 बच्चे पंजीकृत हैं. उन्होंने कई बार विभाग और नगर पालिका को जानकारी दी, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है.

क्‍या बच्चे ऐसे ही जर्जर भवनों में पढ़ने को मजबूर रहेंगे?
डीपीसी बलवंत पटेल ने बताया कि जिले में कुल 626 प्राथमिक और मिडिल स्कूल संचालित हैं, जिनमें करीब 40,000 छात्र अध्ययनरत हैं. उन्होंने कहा कि जिले भर से मरम्मत योग्य स्कूल भवनों की सूची तैयार की जा रही है. जल्द ही विभागीय कार्यवाही की जाएगी. झालावाड़ हादसे के बाद हरदा में सक्रियता तो दिखी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या बड़ी अनहोनी का इंतजार किए बिना इन स्कूलों की हालत सुधारी जाएगी या फिर बच्चे ऐसे ही जर्जर भवनों में पढ़ने को मजबूर रहेंगे?

Sumit verma

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें

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झालावाड़ हादसे के बाद हरदा में अलर्ट, बड़े खतरे में बच्चे, जिम्मेदार कौन?



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