उड़ीसा निवासी सच्चिदानंद बीते तीन महीने 13 दिन से पदयात्रा पर हैं। शुक्रवार को वे विदिशा पहुंचे, जहां कुछ देर विश्राम के बाद उज्जैन के लिए रवाना हो गए। उनका लक्ष्य देशभर के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना है।
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हाथ में एक छोटा सा बैग, जिस पर भगवा झंडा बंधा है और चेहरे पर भक्ति की आभा– सच्चिदानंद की यह यात्रा श्रद्धा, सादगी और आत्मिक शांति की मिसाल बन गई है।
काशी, अयोध्या और बागेश्वर धाम के कर चुके हैं दर्शन सच्चिदानंद ने बताया कि उन्होंने यह यात्रा उड़ीसा से शुरू की थी और अब तक काशी विश्वनाथ, अयोध्या और बागेश्वर धाम जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों पर दर्शन कर चुके हैं। हर स्थान तक पैदल पहुंच रहे हैं। अगला पड़ाव उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है।
बोले– जहां प्रेम मिला, वहीं रुक गया उन्होंने बताया, मैं जो भी करता हूं, भगवान की प्रेरणा से करता हूं। जहां लोगों ने प्रेम से कुछ दिया, खा लिया, आगे बढ़ गया। यह यात्रा सिर्फ शरीर से नहीं, मन और आत्मा से जुड़ी है। वे रास्ते में मिले लोगों द्वारा दिए गए भोजन, पानी और सहानुभूति को ईश्वर का प्रसाद मानकर स्वीकारते हैं।
भक्ति और सेवा का संदेश सच्चिदानंद की यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक संकल्प नहीं, बल्कि समाज को भक्ति, सेवा और सादगी का संदेश भी दे रही है। उनका कहना है, मैं बिना किसी साधन के सिर्फ श्रद्धा के सहारे चल रहा हूं। भक्ति में दिखावा नहीं, समर्पण होना चाहिए।