बालाघाट के स्कूल भगवान भरोसे? सच दिखाने पर इस अफसर ने दिखाई दादागीरी

बालाघाट के स्कूल भगवान भरोसे? सच दिखाने पर इस अफसर ने दिखाई दादागीरी


बालाघाट. स्कूल में पानी भर जाने से पढ़ाई नहीं होती. बैठने के लिए जगह भी नहीं मिलती. डर लगता है कि ऊपर से छत न गिर जाए. ये कहना मध्य प्रदेश के बालाघाट से 75 किमी दूर स्थित महकेपार गांव के बड़टोला स्कूल में पढ़ने वाली एक चौथी क्लास की छात्रा का. लोकल 18 की टीम उस गांव के प्राथमिक शाला बड़टोला पहुंची. दरअसल बालाघाट से 75 किमी दूर स्थित महकेपार गांव में एक प्राइमरी स्कूल है. स्कूल की बिल्डिंग कई साल पुरानी है. ऐसे में वहां पर कवेलू यानी कच्ची छत है, जो जर्जर हो चुकी है. वहीं पर छत को सपोर्ट देने वाली लकड़ियां है, जो खराब हालत में हैं. बारिश होती है, तो पानी स्कूल में भर जाता है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई तो दूर, बैठने में भी समस्या आती है. सारी कक्षाओं के बच्चों को एक ही कमरे में बैठाया जाता है और ज्यादा ही बारिश होती है, तो स्कूल की छुट्टी हो जाती है. इस हालत में भारत का भविष्य शिक्षा हासिल कर रहा है.

स्कूल का फर्श भी जगह-जगह से टूट रहा है. ऐसे में बच्चों को समस्या आती है. बारिश होती है, तो कई दिनों तक फर्श गीला रहता है. वहीं छत का पानी दीवारों से जमीन तक आता है. ऐसे में पानी से दीवारें भी खराब हो रही हैं. स्कूल की प्रधान पाठक सुशीला गजाम ने लोकल 18 को बताया कि उन्होंने पंचायत से लेकर उच्च अधिकारियों को आवेदन दिए लेकिन अब तक कुछ नहीं हो पाया है.

महिलाओं को लगता है डर
महकेपार से पांच किलोमीटर दूर कन्हड़गांव नाम का एक गांव है. वहां के प्राथमिक स्कूल का मध्याह्न भोजन बनाने वाला कक्ष काफी जर्जर हालत में है. कभी भी कोई हादसा हो सकता है. इसका असर उन दो महिलाओं पर पड़ता है, जो स्कूल के बच्चों के लिए खाना पकाती हैं. उन्हें डर लगता है कि छत या दीवार उनके ऊपर ही न गिर जाए. इसके लिए भी कई अर्जियां दी गईं लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

अस्थायी व्यवस्था बनाने के निर्देश
इस मामले को लेकर लोकल 18 ने डीपीसी जीपी बर्मन से बातचीत की. उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में सुधार कर काम चलाने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं सवाल किया गया कि स्कूल की मरम्मत के लिए जनवरी में राशि स्वीकृत नहीं हुई, इसपर वह कहते हैं कि शासकीय प्रक्रिया है.

राजस्थान में 7 बच्चों की मौत
राजस्थान के झालावाड़ में एक स्कूल गिरता है. 7 बच्चों की मौत हो जाती है और कई बच्चे घायल हो जाते हैं. बावजूद इसके जिम्मेदार इसपर ध्यान नहीं देते. बालाघाट में 934 स्कूल ऐसे हैं, जो जर्जर हालत में हैं. यह डाटा भी सरकारी विभाग से मिला है यानी कि हुक्मरानों को जानकारी तो है कि स्कूलों की हालत खराब है, पर सवाल यही उठता है अगर जानकारी है, तो काम क्यों नहीं हो रहा है.

पीटीसी कर रहे रिपोर्टर को अफसर ने रोका
स्कूलों की जर्जर हालत पर रिपोर्टिंग कर रहे लोकल 18 रिपोर्टर आखिर में पीटीसी कर यह बता रहे थे कि कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, जिले में एक या दो स्कूल जर्जर नहीं बल्कि 934 स्कूल जर्जर हालत में हैं और 97 स्कूल ऐसे हैं, जो भवन विहीन हैं. इतने में अफसर बाहर आए और कैमरा चला रहे शख्स से वीडियो डिलीट करने के लिए कहा. रिपोर्टर रोकता रहा लेकिन अफसर का कहना था कि तुम ये आज क्यों कर रहे हो, कल मंत्री जी आएंगे. वहीं वहां खड़े शख्स ने जबरदस्ती मोबाइल से वीडियो डिलीट कर दिए. रिपोर्टर कहता रहा भैया, इसमें क्या गलत है बताइए. उसने एक न सुनी. इतने में डीपीसी बर्मन दफ्तर के अंदर चले गए. वहीं शख्स ने मोबाइल लौटा दिया और बाहर जाने के लिए कहा. रिपोर्टर ने शख्स से नाम पूछा, तो बताने से इनकार कर दिया. कहने लगा मैं अपने भाई से मिलने हॉस्टल आता हूं. सर मुझे डाटेंगे, मैं क्या करता, इसलिए सर के कहने पर वीडियो डिलीट कर दिया. वहीं घटना जहां हुई वहां एक सीसीटीवी कैमरा भी लगा हुआ है. अगर वह कैमरा काम कर रहा होगा, तो जबरन वीडियो डिलीट कराने का पूरा मामला भी कैमरे में कैद हुआ होगा.



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