बहुती जलप्रपात पर मौजूद पर्यटक।
बारिश के मौसम में मऊगंज जिले के बहुती जलप्रपात पर सैलानियों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। प्राकृतिक सौंदर्य को मोबाइल कैमरे में कैद करने की चाह में कई लोग सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज कर रहे हैं। रविवार को एसडीईआरएफ की टीम ने जलप्रपात के किनारे खतरनाक स्थ
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हाल ही में बहुती जलप्रपात में एक देवर-भाभी ने छलांग लगाकर जान दे दी थी। इस घटना के बाद एसडीईआरएफ की टीम यहां शवों की तलाश में पहुंची थी। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम ने देखा कि बड़ी संख्या में लोग रेलिंग पार कर या असुरक्षित चट्टानों पर चढ़कर सेल्फी ले रहे हैं।
चट्टान के करीब खड़े सैलानियों को भागते सुरक्षकर्मी।
पिकनिक मनाने पहुंचे युवाओं में सबसे ज्यादा लापरवाही देखने को मिल रही है। कुछ पर्यटक नशे की हालत में खतरनाक किनारों तक पहुंच जाते हैं। इससे हादसे की आशंका और बढ़ जाती है। चेतावनी बोर्ड होने के बावजूद कई लोग नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
प्रयागराज से आए पर्यटक आदिल और अभिषेक नदी की बहाव दिशा में जाकर फोटोशूट कर रहे थे। उन्हें एसडीईआरएफ टीम ने बाहर निकाला और समझाया कि यह लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
छोटी सी गलती जान ले सकती है
एसडीईआरएफ के एसआई विकास पांडेय ने बताया कि बहुती जलप्रपात में कई लोग चेतावनी बोर्ड के बावजूद खतरनाक स्थानों पर सेल्फी लेते मिले। सभी को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया। उन्होंने यह भी समझाया कि एक छोटी सी गलती जान ले सकती है।

पहाड़ी पर मौजूद लोगों को समझाते पुलिसकर्मी।
जुलाई से नवंबर तक सबसे अच्छा समय
प्राकृतिक धुंध की चादर में लिपटा बहुती जलप्रपात मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा झरना है। यह ओड्डा और सेलार नदी पर स्थित है और तमसा (टोंस) नदी की सहायक नदी बनाती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इसकी ऊंचाई करीब 198 मीटर (650 फीट) है।
यह जलप्रपात खासतौर पर जुलाई से नवंबर तक पूरे वेग में बहता है। उस समय यहां का नजारा बेहद अद्भुत होता है। पानी की धाराएं जब ऊंचाई से गिरती हैं तो फुहारें दूर-दूर तक महसूस की जा सकती हैं।
थाना प्रभारी की अपील
थाना प्रभारी जगदीश सिंह ठाकुर ने पर्यटकों से अपील की है कि वे जलप्रपात के बेहद निकट जाने या रेलिंग पार करने से बचें। पहाड़ी क्षेत्र में फिसलन अधिक होती है, जो हादसों का कारण बन सकती है। उन्होंने लोगों से अपने और अपने परिवार की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने की अपील की है।