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Mahakal Nagchandreshwar Mandir: उज्जैन के महाकाल मंदिर में मौजूद नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में केवल नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खुलता है. मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. जानें…और पढ़ें
कब होंगे नागचंद्रेश्वर के दर्शन
महाकाल मंदिर में महंत विनीत गिरि ने Local 18 को बताया कि इस बार नाग पंचमी के अवसर पर नागचंद्रेश्वर के पट 29 जुलाई की रात 12 बजे खोले जाएंगे, जो 30 जुलाई की रात 12 बजे तक खुले रहेंगे. ऐसे में भक्त 24 घंटों तक भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर सकेंगे. माना जाता है कि जो भक्त इस मंदिर के दर्शन करता है, उसे कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है. यही कारण है कि मंदिर के खुलने पर भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ती है.
माना जाता है कि मालवा साम्राज्य के परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के करीब इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इसके बाद सिंधिया परिवार के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा को नेपाल से यहां लाकर स्थापित किया गया था. इस मूर्ति में भगवान शिव अपने दोनों पुत्रों गणेशजी और स्वामी कार्तिकेय समेत विराजमान हैं. मूर्ति में ऊपर की ओर सूर्य और चन्द्रमा भी है.
साल में एक बार ही क्यों खुलता है मंदिर?
मान्यता है कि सर्पराज तक्षक ने शिव शंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी. तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक को अमरत्व का वरदान दिया. मान्यता है कि उसके बाद से नागराज तक्षक ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया. लेकिन, महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न न हो. अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं. शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है.