मिर्च की इन 5 किस्मों पर हो चुकी रिसर्च, खेत में इतना उगेगी… तोड़ते-तोड़ते थक जाएंगे! मुनाफा डबल

मिर्च की इन 5 किस्मों पर हो चुकी रिसर्च, खेत में इतना उगेगी… तोड़ते-तोड़ते थक जाएंगे! मुनाफा डबल


Farming Tips: मध्य प्रदेश का खरगोन जिला प्रदेश में मिर्च उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है. यहां की तीखी लाल मिर्च देश ही नहीं, विदेशों में भी पसंद की जाती है. खरीफ सीजन में यहां बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती होती है, लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो किसान अनुसंधान केंद्रों द्वारा विकसित विशेष किस्मों का चुनाव करें, तो उन्हें कम समय में ज्यादा उत्पादन और बेहतर मुनाफा मिल सकता है. हालांकि, निजी कंपनियों का भी चुनाव किया जा सकता है.

मिर्च एक नकदी फसल है और हर साल इसका रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है. हरी और लाल दोनों अवस्था में बिकने वाली यह फसल किसानों को औसतन 1 से 1.5 लाख रुपये प्रति एकड़ तक का शुद्ध मुनाफा देती है. हालांकि, कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि किसान सही किस्म और वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग करें, तो यह मुनाफा दुगना भी हो सकता है.

वैज्ञानिकों ने सुझाई अनुसंधान की किस्में
कृषि विज्ञान केंद्र खरगोन के वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागीvबताते है कि, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी द्वारा काशी अर्ली और काशी सुध किस्में विकसित की गई हैं, जो ऑनलाइन पोर्टल से खरीदी जा सकती हैं. इसी तरह, बेंगलुरु स्थित भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान द्वारा आरका हरित, आरका गगन, आरका ख्याति और आरका हरिता जैसी उन्नत किस्में तैयार की गई हैं. ये किस्में भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं.

इन हाइब्रिड वैरायटी से भी मिलेगा फायदा
अगर किसान प्राइवेट कंपनियों के बीज लगाना चाहते हैं तो उनके लिए भी बेहतर विकल्प मौजूद हैं. जैसे – महिको, राशी, स्वाति हाई चिली रेशम, हाइब्रिड SW-426, स्वाति 7300 F1 हाइब्रिड जैसी किस्में बाजार में उपलब्ध हैं. किसान अपनी जरूरत, मिट्टी और बाजार की मांग के अनुसार इनमें से चयन कर सकते हैं.

इस तरह करें खेत की तैयारी
वैज्ञानिकों ने बताया कि मिर्च लगाने से पहले खेत की गहरी जुताई जरूर करें. मृदा परीक्षण के आधार पर खाद और उर्वरक का प्रयोग, फसल चक्र अपनाना, और लगातार एक ही खेत में मिर्च न लगाना जैसे उपाय अपनाएं. मिर्च की रोपाई के लिए रेस्ट बेड तकनीक (चार-चार फीट की दूरी पर उठी क्यारी) और ड्रिप लाइन मल्चिंग तकनीक का प्रयोग करने से न केवल पानी की बचत होगी, बल्कि उत्पादन भी बढ़ेगा.



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