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शब्द बदला, सोच बदली! अब रेलवे टिकट पर दिव्यांगों को मिलेगा गरिमा का सम्मान, जानें पूरा फैसला

Madhya Pradesh Samachar27/07/2025
शब्द बदला, सोच बदली! अब रेलवे टिकट पर दिव्यांगों को मिलेगा गरिमा का सम्मान, जानें पूरा फैसला


Last Updated:July 27, 2025, 11:43 IST

Railway Alert: उज्जैन के डॉ. पंकज मारु ने अपनी बेटी के लिए रेलवे के रियायती पास में अपमानजनक शब्द “मानसिक विकृति” के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी. कोर्ट के आदेश के बाद रेलवे ने अब “बौद्धिक दिव्यांगता” शब्द को मान्यत…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को निर्देश दिया
  • “मानसिक विकृति” की जगह “बौद्धिक दिव्यांगता”
  • अब नहीं होगा मानसिक विकृति का अपमान
उज्जैन. मन में हौसला हो और भगवान का आर्शीवाद साथ हो, तो किसी के लिए भी हक की लड़ाई लड़ी जा सकती है, जिसका जीता-जागता उदाहरण मध्यप्रदेश के उज्जैन के रहने वाले पंकज मारु की वजह से देखने को मिला. इनके संघर्ष की लड़ाई से 7 करोड़ दिव्यांगों के चेहरे पर खुशियाँ आई है.

दरअसल, पूरा मामले की बात करे तो, भारतीय रेलवे का है, जिसमें भारतीय रेलवे ने एक बड़ा फैसला किया है कि अब वह मानसिक रूप से दिव्यांगों के लिए जारी करने वाले रियायती पास पर ’मानसिक विकृत’ शब्द की जगह ’बौद्धिक दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल करेगा. रेलवे ने 1 जून 2025 से इस फैसले को अमल में लाना शुरू कर दिया है. इसका फायदा देश के सात करोड़ दिव्यांगों को मिलेगा.

अधिकारियों नें नहीं दिया ध्यान तो खुद लड़ी लड़ाई 
डॉ. पंकज मारु बताते हैं कि साल 2019 में उन्होंने अपनी बेटी सोनू के लिए रेलवे से रियायती पास बनवाया था. इसमें विकलांगता की प्रकृति वाले कॉलम में लिखा था मानसिक विकृति. अपनी बेटी के लिए ये शब्द मुझे अपमानजनक लगा. मेरी बेटी 65 फीसदी मानसिक दिव्यांग है, न कि विकृत. मैंने रियायती पास में इस शब्द को बदलवाने के लिए पश्चिम रेलवे, रेलवे बोर्ड और संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया. कई बार रेलवे के चेयरमैन और डीआरएम को पत्र लिखे. अधिकारियों की तरफ से मुझे कोई जवाब नहीं मिला.

डॉ. मारु ने मामले की खुद पैरवी की
डॉ. पंकज मारु नें बताया कि, याचिका दायर करने के बाद कोर्ट ने भारतीय रेलवे को नोटिस जारी किया था. और पूछा था कि क्या इस शब्द को बदला जा सकता है. करीब ढाई महीने बाद रेलवे ने इस नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि कि इस शब्द को नहीं बदला जा सकता हव. तो फिर याचिका दायर करने वाले डॉ. पंकज से पूछा अब आप क्या करना चाहते है, तो मारु ने 25 सितंबर को दोबारा सुनवाई के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई. जब इस मामले की सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला दिया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम, 2016 (राइट्स ऑफ़ पर्सन्स विथ दिसबिलितिएस एक्ट, 2016) की धारा 92 (क) सेक्शन 92 (ए) में यह प्रावधान किया गया है.

कोर्ट ने भावना समझी और दिया आदेश 
कोर्ट ने 28 फरवरी 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं. 17 जुलाई को कोर्ट ने रेलवे को निर्देश देते हुए कहा कि ऐसे शब्द न केवल असंवेदनशील हैं, बल्कि ये दिव्यांगजनों की गरिमा के साथ खिलवाड़ है. रेलवे एक महीने के अंदर एक कमेटी बनाकर इस शब्द को बदले. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि रेलवे को भविष्य में सभी रियायती पास या प्रमाण पत्रों में उचित और गरिमापूर्ण भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए.

रेलवे ने छोड़ी जिद अब बदला नाम 
रेलवे नें पूरा मामला गंभीरता से लेते हुए फैसला लिया और 9 मई को रेलवे की तरफ से एक सर्कुलर जारी किया गया. इसमें रेलवे ने लिखा कि अब रियायती पास या प्रमाण पत्रों पर मानसिक रूप से कमजोर (मेंटल रिटरडेशन) की जगह बौद्धिक अक्षमता यानी इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी शब्द का इस्तेमाल होगा. रेलवे ने ये बताया कि 1 जून 2025 से ये प्रभावी होगा. इसके लिए एक नया प्रोफॉर्मा भी जारी किया गया.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked … और पढ़ें

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Ujjain,Madhya Pradesh

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शब्द बदला, सोच बदली! अब रेलवे टिकट पर दिव्यांगों को मिलेगा सम्मान



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