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Sawan 2025 : सावन के महीने में झूला झूलने की परंपरा न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है बल्कि पति-पत्नी के प्रेम और पारिवारिक सामंजस्य को भी मजबूत बनाती है. उज्जैन के आचार्य बताते हैं इसके पीछे की पौराणिक और आध्यात्म…और पढ़ें
सावन का महीना जहां भक्ति और उत्सव के लिए जाना जाता है, वहीं यह महीना अपनी हरियाली, ठंडी हवाओं और झीलों में खिलते कमल के फूलों के लिए भी जाना जाता है. इस महीने में प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम स्तर पर होता है. सावन के महीने में कुंवारी कन्याओं और सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने हाथों में मेहंदी लगाने ओर पेड़ों पर झूले डालने की भी परंपरा है. इस महीने विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार भी करती है. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते है इस महीने झूला क्यों जुला जाता है.
पौराणिक मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ द्वारा माता पार्वती के लिए झूला डाला था. भगवान भोलेनाथ ने स्वयं माता पार्वती को झूला झुलाया. व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सावन के महीने में जब चारों ओर हरियाली होती है उस समय व्यक्ति का मन अनायास ही प्रसन्न हो जाता है. इस प्रसन्न चित्त में अगर भगवान को याद किया जाए तो बिना प्रयास के ही ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
राधा-रानी से जुड़ा है झूले का महत्व
मान्यता के अनुसार, यह भी कहा जाता है सावन के महीने में भगवान कृष्ण ने राधा रानी को भी झूला झुलाया था. इसके बाद से लोगों ने सावन में झूला झूलना शुरू कर दिया. आपको बता दें कि सावन में झूला झूलने से परिवार के सदस्यों में एकता बनी रहती है. पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है. वहीं झूला झूलने से दिमाग को भी शांति मिलती है.
झूला झूलने के फायदे
सावन माह में ये परंपरा पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने का प्रतीक मानी जाती है. ऐसा कहा जाता है कि जो पति अपनी पत्नी को सावन के महीने में झूला झुलाते हैं, उनका वैवाहिक जीवन प्यार से भर जाता है. आपने भी देखा होगा कि मंदिरों में और घरों में भी देवी-देवताओं के लिए झूले लगाए जाते हैं और उन्हें झुलाया जाता है.