सोशल मीडिया पर बवाल, बनी देशभर में चर्चा का विषय
जैसे ही यह सर्टिफिकेट वायरल हुआ, नेटिज़न्स ने रामस्वरूप को ‘India’s Poorest Man’ कहना शुरू कर दिया. लोगों ने फोटो शेयर करते हुए तंज कसे कि “अब तो गरीबी भी सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हो गई है!”
‘क्लेरिकल एरर’ बताकर प्रशासन ने ली राहत की सांस
तहसीलदार सौरभ द्विवेदी ने सफाई दी कि यह पूरी तरह से एक क्लेरिकल एरर था और अब उसे सही कर लिया गया है. उन्होंने कहा, “यह एक टाइपिंग मिस्टेक थी. नया सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है, जिसमें सही आय दर्ज है.”
मामले को राजनीतिक रंग देते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इसे सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव सरकार पर हमला बोला. पार्टी ने अपने पोस्ट में लिखा “MP में CM मोहन यादव के राज में मिला हमें भारत का सबसे गरीब आदमी! सालाना आय सिर्फ ₹3!”
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि “यह सिर्फ एक गलती नहीं, एक सिस्टम की पोल है. अब कुर्सी ही कमीशन खा रही है.”
यह मामला सिर्फ एक दस्तावेजी गलती नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में व्यवस्था की असंवेदनशीलता को उजागर करता है. जहां एक तरफ योजनाएं किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती हैं, वहीं सरकारी फॉर्म्स में एक किसान को 25 पैसे महीने का मालिक बना दिया जाता है.