इस घास से खौफ खाते जानवर, छूते ही इंसानों के शरीर में होने लगती खुजली, बारिश में होते एक्टिव!

इस घास से खौफ खाते जानवर, छूते ही इंसानों के शरीर में होने लगती खुजली, बारिश में होते एक्टिव!


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Gond Grass ke Nuksan: छतरपुर जिले में पाए जाने वाले एक खास तरह के पानी के खरपतवार को छूते ही इंसानों और जानवरों में खुजली शुरू हो जाती है. यह इतना खतरनाक है कि जानवर भी इसे खाने से बचते हैं. जानिए क्या है इस घा…और पढ़ें

गोंद घास के नुकसान: छतरपुर जिले के कई तालाबों में बरसात के मौसम में एक खास तरह की जल-घास उगती है, जिसे स्थानीय भाषा में ‘गोंद’ कहा जाता है. ये घास सामान्य चारे जैसी दिखती है लेकिन छूते ही शरीर में तेज़ खुजली शुरू हो जाती है. यही नहीं, पशु भी इस घास से दूर रहते हैं.

किसान की चेतावनी: ये घास बेहद हानिकारक है
स्थानीय किसान कालीचरण सोनी बताते हैं कि ये घास जितनी सामान्य दिखती है, उतनी ही खतरनाक है. यह पानी में घनी फैल जाती है और आसपास की जगह को पूरी तरह घेर लेती है. इसके संपर्क में आते ही शरीर में जलन और खुजली शुरू हो जाती है. पानी में रहने वाले पशुओं के लिए भी यह गंभीर समस्या बन जाती है.

जहरीले जीवों का ठिकाना
कालीचरण बताते हैं कि इस घास में जहरीले जीव, विशेष रूप से सांप, पनपते हैं. हाल ही में जब JCB से इसे हटाया जा रहा था, तब एक अजगर का बच्चा इस घास से निकला. इसका घनत्व इतना अधिक होता है कि यह जलीय जीवन को प्रभावित करता है और तालाब की पारिस्थितिकी को बिगाड़ देता है.

तालाब को बर्बाद कर देती है ये घास
यह खरपतवार तालाब के सौंदर्य और उपयोगिता दोनों को प्रभावित करती है. कभी-कभी तो इसकी सतह पर पीपल जैसे पौधे भी उग आते हैं, जिससे तालाब धीरे-धीरे भर जाता है और उपयोग के लायक नहीं रह जाता.

जानवर भी करते हैं किनारा
इस चारे की सबसे बड़ी पहचान यह है कि इसे न तो गाय, न भैंस और न ही बकरी जैसे पशु खाते हैं. इसका कारण इसकी त्वचा पर असर करने वाली प्रकृति है, जिससे पशु भी इससे दूर रहना ही बेहतर समझते हैं.

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इस घास को देखते ही थर थर कांपते पशु, छूते ही इंसानों के शरीर में मचती खुजली!



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