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Putrada Ekadashi Vrat 2025: पुत्रदा एकादशी व्रत को बेहद खास माना गया है. ये उन दंपति के लिए विशेष है, जिन्हें संतान नहीं है. उज्जैन के आचार्य से जानें महत्व…
हाइलाइट्स
- पुत्रदा एकादशी का व्रत 05 अगस्त को रखा जाएगा
- रवि और भद्रावास योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें
- एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए
वैदिक पंचांग के अनुसार, 04 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी. वहीं, 05 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन होगा. वैदिक जानकारों की माने तो 05 अगस्त को सावन पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी.
एकादशी तिथि पर रवि और भद्रावास योग का संयोग बन रहा है. रवि योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलेगा. साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होगी.
कैसे हुईं इस व्रत की शुरुआत
पौराणिक मान्यता के अनुसार, महिष्मति राज्य के राजा महीजित को कोई संतान नहीं थी. वे बड़े ही पुण्य का काम करते थे. संतान न होने से नाराज राजा ने अपनी प्रजा और ब्राह्मणों की एक बैठक बुलाई. ब्राह्मण और प्रजा दोनों ने इस समस्या से निजात के लिए तप शुरू किया. इस दौरान उन्हें लोमस ऋषि मिले, जिन्होंने इस समस्या के लिए सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत रखने की बात कही. इसके बाद राजा, प्रजा और ब्राह्मणों ने इस व्रत को रखा. जिसके प्रभाव से राजा महीजित को संतान की प्राप्ति हुई.
कैसे रखें व्रत
– एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.
– एकादशी का व्रत नहीं रखने वालों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
– एकादशी व्रत के दिन बाल, नाखून, और दाढ़ी कटवाने की भूल न करें.
– एकादशी व्रत के दिन ब्राह्मणों को कुछ दान अवश्य करना चाहिए.
– एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना गया है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.