चल नहीं सकते, बोल भी मुश्किल… मां-बाप के बाद भाई भी बेबस! अब आश्रम बना सहारा

चल नहीं सकते, बोल भी मुश्किल… मां-बाप के बाद भाई भी बेबस! अब आश्रम बना सहारा


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Gwalior News: ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम में रहने वाले प्रीति और सचिन कुशवाहा 100% विकलांग हैं. माता-पिता के निधन के बाद बड़े भाई ने देखभाल की, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण समाजिक न्याय विभाग से मदद मांगनी पड़ी.

मां-बाप के बाद भाई भी बेबस

हाइलाइट्स

  • मां-बाप के बाद भाई भी बेबस
  • कहानी सुनकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी!
  • सहयोग और मानवता का सच्चा संदेश
ग्वालियर. ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम में रहने वाले रीवा के भाई-बहन, 25 वर्षीय प्रीति और 23 वर्षीय सचिन कुशवाहा की कहानी दिल को छू लेने वाली है. ये दोनों बचपन से ही 100 फीसदी शारीरिक रूप से विकलांग हैं. चलना-फिरना तो दूर, वे बिस्तर पर करवट तक नहीं ले सकते. नित्य क्रियाएं, खाना-पीना और पूरा जीवन उनका बिस्तर पर ही सिमटा हुआ है.

प्रीति और सचिन को अब तक उनके माता-पिता ने हर तरह की सेवा और देखभाल के साथ पाला, लेकिन दो साल पहले पिता के निधन और तीन माह पहले मां के भी साथ छोड़ने के बाद दोनों की जिंदगी एकदम अंधेरे में डूब गई. अब उनकी देखभाल की जिम्मेदारी उनके एकमात्र बड़े भाई पर आ गई, जो एक प्राइवेट कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR) के तौर पर काम करता है. अविवाहित यह भाई, पिछले तीन महीने से नौकरी छोड़कर किराए के मकान में दोनों की सेवा में दिन-रात लगा रहा. न नौकरी कर पा रहा था, न ही घर का खर्च चला पा रहा था. इसी मजबूरी में उसने समाजिक न्याय विभाग से मदद की गुहार लगाई.

न्याय विभाग से मदद की गुहार
प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए, प्रीति और सचिन को ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम में शिफ्ट करवा दिया. अब वहां दोनों को नवजात बच्चों की तरह संभाला जा रहा है. सचिन को आश्रम के जेंट्स विंग में रखा गया है, जबकि प्रीति लेडीज़ विंग में है. दोनों की देखभाल के लिए अलग-अलग अटेंडेंट्स लगाए गए हैं, जो उन्हें समय पर खाना खिलाते हैं, साफ-सफाई करते हैं और हर छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखते हैं.

सचिन थोड़ा-बहुत बोल लेता है और अपनी स्थिति को शब्दों में बयां कर पाता है, जबकि प्रीति सिर्फ हावभाव के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त करती है. आश्रम की टीम के लिए ये दोनों अब परिवार का हिस्सा बन चुके हैं. वहां के स्टाफ उन्हें पूरी ममता और समर्पण के साथ सेवा दे रहे हैं.

जब हमारे सहयोगी सुशील कौशिक ने आश्रम पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया, तो सचिन ने जो कुछ कहा और जो नहीं कह सका—दोनों ने सभी की आंखें नम कर दीं. अब यह भाई-बहन आश्रम में सुरक्षित हैं और खुश भी, लेकिन उनकी कहानी आज भी समाज से संवेदनशीलता और समर्थन की अपील कर रही है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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