बाजार में 10 रुपए, पंचायत में 4 हजार रुपए!
घोटाले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि जिस पेवर ब्लॉक की कीमत बाजार में 10–12 रुपए प्रति नग है, उसे पंचायत ने 4,000 रुपए प्रति नग में खरीदना बताया है. यह भुगतान पन्ना जिले के पटना तमोली स्थित चौरसिया ट्रेडर्स के नाम से किया गया. उपयंत्री संकल्प राणा ने बिल का सत्यापन कर भुगतान की अनुशंसा की और सरकारी फंड से बिल क्लियर किया गया.
मामला माध्यमिक शासकीय स्कूल, धातुनहा के सामने पेवर वर्क से जुड़ा बताया गया है. जबकि मौके पर पहुंचने पर यह स्पष्ट हुआ कि स्कूल परिसर या आसपास कहीं भी पेवर्स नहीं लगाए गए. पूरे कार्य को केवल कागजों में दर्शाया गया.
आरईएस के SOR रेट से 20 गुना अधिक भुगतान
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, एक स्क्वायर मीटर पेवर्स लगाने का रेट 702 रुपए निर्धारित है, जबकि पंचायत द्वारा प्रति स्क्वायर मीटर लगभग 16,000 रुपए खर्च किए जाने का दस्तावेजी दावा किया गया है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि वास्तविक लागत से 20 गुना अधिक भुगतान किया गया.
इस पूरे मामले में पंचायत की महिला सरपंच चंद्रवर्ती मिश्रा, पंचायत सचिव सुखीलाल प्रजापति, और रोजगार सहायक प्रदीप तिवारी के खिलाफ फंड के ग़लत इस्तेमाल और दस्तावेजी धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं. वहीं, उपयंत्री की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, जिसने बिना भौतिक सत्यापन के बिल पास कर दिए.
प्रशासन की चुप्पी और जांच की मांग
स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने इस भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. अगर आरोप सही साबित होते हैं तो यह मामला सतना में अब तक के सबसे बड़े पंचायत स्तरीय आर्थिक घोटालों में से एक बन सकता है.