ये कैसी “डिजिटल इंडिया”? बारिश आते ही एक्टिव हो जाती मौत की पुलिया, बच्चे लगाते जान की बाजी!

ये कैसी “डिजिटल इंडिया”? बारिश आते ही एक्टिव हो जाती मौत की पुलिया, बच्चे लगाते जान की बाजी!


मध्यप्रदेश के खंडवा जिले का पिपलिया गांव इन दिनों बारिश के चलते एक दर्दनाक संकट का सामना कर रहा है. जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव के बच्चों के लिए स्कूल पहुंचना हर दिन जान की बाजी लगाने जैसा है. गांव को जोड़ने वाली एकमात्र पुलिया बारिश में उफनने लगती है और इसके बावजूद स्कूली बच्चे इसे पार करने को मजबूर हैं.

तेज बहाव, ढाई फीट पानी और मजबूरी में सफर
पुलिया पर पानी करीब एक से डेढ़ फीट तक चढ़ जाता है. तेज़ बहाव और न कोई सुरक्षा इंतज़ाम बच्चों के लिए यह रास्ता किसी राक्षसी चुनौती से कम नहीं. ग्रामीण हरिसिंह चौहान बताते हैं कि शनिवार सुबह से पानी बहुत तेज़ था, लेकिन फिर भी लगभग 150 बच्चों ने किसी तरह पुलिया पार की. दोपहर में जब बच्चे लौटे, तब हालात और ज्यादा खतरनाक हो चुके थे.

बच्चियों के लिए और बढ़ा खतरा
इस गांव की 10 से 14 साल की बच्चियां हर दिन अपने बस्ते और सपनों के साथ इस खतरनाक रास्ते को पार करती हैं. फिसलन, तेज़ बहाव और गहराई कोई भी चूक भारी पड़ सकती है. परिजनों की चिंता हर रोज़ यही होती है कि उनके बच्चे सुरक्षित लौटेंगे या नहीं.

प्रशासन की चुप्पी, ग्रामीणों का गुस्सा
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत के सचिव और सरपंच को इस स्थिति की जानकारी होने के बावजूद वे अब तक मौन हैं. क्षेत्रीय जल बहाव आगे जाकर कावेरी नदी में मिलता है, लेकिन गांव तक का यह सफर हर साल जानलेवा हो जाता है.

ग्रामीणों ने मांग की है कि इस पुलिया को स्थायी और ऊंचा बनाया जाए. इसके अलावा पूरे रास्ते को पक्का किया जाए ताकि हर साल बारिश के मौसम में ये समस्या न दोहराई जाए. फिलहाल अभी तक कोई बड़ा प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है.

कब सुधरेगा सिस्टम?
यह कहानी उस “डिजिटल इंडिया” के दावों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है, जहां एक तरफ स्मार्ट स्कूल, टैबलेट और हाईटेक शिक्षा की बात होती है, वहीं दूसरी तरफ बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए मौत से लड़ना पड़ता है.

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो वे सामूहिक विरोध प्रदर्शन करेंगे और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे.



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