हाल ही में सिया ( (SEIAA – स्टेट एन्वायर्नमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी) विवाद के बाद मप्र सरकार ने दो आईएएस अफसरों का तबादला कर दिया है। इससे पहले मुख्यमंत्री मोहन यादव की दुबई और स्पेन यात्रा से पहले 6 जुलाई को 9 आईएएस का तबादला हुआ था। इस लिस्ट म
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वे चार साल से एमपीपीएससी में सचिव थे। शिवराज सरकार में उन्हें ये पोस्टिंग मिली थी। केवल सिपाहा नहीं है जो इतने लंबे समय तक एक पद पर जमे रहे। भास्कर ने दो साल से अधिक समय से एक ही जिले में या एक ही विभाग और एक ही पद पर पदस्थ अफसरों की पोस्टिंग की पड़ताल की तो पता चला कि 52 आईएएस अफसर ऐसे हैं, जिन्हें शिवराज सरकार के समय पोस्टिंग मिली थी।
तब से लेकर अब तक उनका तबादला नहीं हुआ। इसमें 9 जिलों के कलेक्टर भी शामिल हैं। इनमें से तीन कलेक्टर तो राजनीतिक वजह से अभी तक नहीं हटाए जा सके हैं। कई अफसर तो ऐसे भी हैं, जो करीब छह साल से एक ही जगह पर पदस्थ हैं। दूसरी तरफ 10 आईएएस ऐसे हैं जो आज तक कलेक्टर नहीं बन सके हैं।
भास्कर ने जब एक्सपर्ट से बात की तो उन्होंने कहा कि अफसरों का ट्रांसफर उनके परफॉर्मेंस के साथ राजनीतिक समीकरणों को देखकर ही होता है। पढ़िए रिपोर्ट
इस साल जनवरी में 12 जिलों के कलेक्टर बदले गए मोहन सरकार ने दिसंबर 2023 में कामकाज शुरू किया था इसके बाद जनवरी-फरवरी और मार्च 2024 में 146 आईएएस के तबादले हुए। उसकी एक वजह लोकसभा चुनाव भी थी। इसके बाद अगस्त और नवंबर 2024 में सबसे ज्यादा आईएएस के ट्रांसफर हुए। अगस्त में 36 आईएएस के तबादले हुए तो नवंबर में 42 आईएएस के ट्रांसफर हुए।
इस साल जनवरी में 47 आईएएस के तबादले किए गए जिनमें 12 जिलों के कलेक्टर शामिल है। मोहन सरकार ने पिछले साल कुल 267 आईएएस के तबादले किए और इस साल 7 महीने में 79 आईएएस का ट्रांसफर हो चुका है। हालांकि शिवराज सरकार के समय पदस्थ 52 आईएएस का अब तक तबादला नहीं हुआ है जिसमें 9 जिलों के कलेक्टर भी शामिल है।

मुरैना-शिवपुरी कलेक्टर सिंधिया-तोमर की पसंद
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि तीन जिलों मुरैना, अलीराजपुर और शिवपुरी में कलेक्टर की पोस्टिंग में प्रशासनिक कम राजनीतिक वजह ज्यादा है। अंकित अस्थाना मुरैना में नंवबर 2022 में पदस्थ हुए थे। यह विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभाव वाला जिला है। अस्थाना की पोस्टिंग तोमर की सिफारिश पर हुई थी।
यदि उन्हें हटाया जाता है तो सरकार पहले तोमर को भरोसे में लेगी। इसी तरह अभय बेडेकर को शिवराज सरकार ने अलीराजपुर जिले की कमान सौंपी थी। बेडेकर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के करीबी माने जाते हैं। वे विजयवर्गीय के ओएसडी रह चुके हैं। विजयवर्गीय उन्हें इंदौर नगर निगम कमिश्नर पदस्थ करने की सिफारिश कर चुके हैं।
इसी तरह शिवपुरी कलेक्टर रवींद्र चौधरी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की सिफारिश पर पदस्थ हुए थे।

जानिए लंबे समय से जमे आईएएस अफसरों के बारे में…
1.नियाज खान 6 साल से पीडब्ल्यूडी में उप सचिव 2014 बैच के आईएएस अफसर नियाज खान को इस विभाग में बतौर उप सचिव 6 साल पूरे हो चुके हैं। खान को अप्रैल 2019 में पीडब्ल्यूडी में पदस्थ किया गया था। तब वे राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। जनवरी 2022 में वे आईएएस प्रमोट हो गए। इसके बाद भी उन्हें अब तक इसी विभाग में रखा गया है। शायद वे एक मात्र आईएएस अफसर हैं, जो एक ही विभाग में इतने लंबे समय से पदस्थ हैं।
2. शिवशेखर शुक्ला 5 साल से संस्कृति-पयर्टन प्रमुख सचिव 1994 बैच के अफसर शिवशेखर शुक्ला 5 साल से एक ही विभाग में पदस्थ हैं। उन्हें शिवराज सरकार ने अगस्त 2020 में संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव बनाया था। शुक्ला को छोड़कर सभी विभागों के प्रमुख सचिवों की जिम्मेदारी बदली गई। डॉ. मोहन सरकार ने भी डेढ़ साल में व्यापक प्रशासनिक फेरबदल किए, लेकिन संस्कृति व पर्यटन विभाग शिवशेखर शुक्ला के हाथों में बरकरार है।

एसीएस संजय शुक्ला के डेढ़ साल में 6 विभाग बदले मोहन यादव के कार्यभार संभालने के बाद से एसीएस संजय शुक्ला के छह बार विभाग बदल चुके हैं। शुक्ला उद्योग विभाग संभाल रहे थे, तब जल्द ही उन्हें राजभवन भेज दिया गया, लेकिन दो महीने बाद ही उन्हें राजभवन से मंत्रालय भेज दिया गया और महिला एवं बाल कल्याण विभाग का प्रभार दे दिया गया।
इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ कर खनन विभाग का प्रभार सौंपा गया, लेकिन अनुराग जैन के मुख्य सचिव बनने के बाद शुक्ला को नगरीय प्रशासन विभाग का प्रभार सौंपा गया। लेकिन हाल ही में शुक्ला का फिर से तबादला कर उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग में भेज दिया गया।

3-14 साल तक की वरिष्ठता, लेकिन नहीं बन पाए कलेक्टर दस आईएएस अफसरों की वरिष्ठता 13-14 साल हो गई है, लेकिन वे अब तक कलेक्टर नहीं बन पाए हैं। इनमें से तीन 2011 बैच की महिला आईएएस अफसर प्रीति जैन, सरिता बाला ओम प्रजापति और उषा परमार हैं। इसी बैच के हरि सिंह मीणा, गिरीश शर्मा और वीरेंद्र कुमार को भी कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिला।
2010 बैच के चंद्रशेखर वालिंबे अगले 4-5 माह में सुपर टाइम स्केल में आ जाएंगे, लेकिन उन्हें एक भी जिले की कमान नहीं मिली। इसी प्रकार 2012 बैच के संतोष कुमार वर्मा, दिनेश कुमार मौर्य, राजेश कुमार ओगरे और भारती ओगरे को सरकार ने कभी कलेक्टर नहीं बनाया। खास बात यह है कि ये सभी प्रमोटी आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन इन्हीं आईएएस बैच के दीपक सक्सेना और शिलेंद्र सिंह कलेक्टर हैं।

IAS अफसरों के लिए सिविल सर्विस बोर्ड 2017 में बना
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद साल 2017 में आईएएस के ट्रांसफर के लिए सिविल सर्विस बोर्ड बनाया गया है। इसमें मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव (कार्मिक) और एक सीनियर अपर मुख्य सचिव सदस्य होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार किसी भी आईएएस अफसर को 2 साल से पहले नहीं हटा सकती है। यदि किसी आईएएस का 2 साल से पहले तबादला किया जाना जरूरी है तो उसके लिए कारण बताना होगा।
आईएएस: पहले ट्रांसफर, फिर बोर्ड की मंजूरी
- ये है नियम: सामान्य प्रशासन विभाग एक प्रस्ताव तैयार कर मुख्य सचिव को भेजता है। मुख्य सचिव सिविल सर्विस बोर्ड की बैठक बुलाकर प्रस्ताव पर सहमति लेते हैं। इसके बाद मुख्य सचिव की मुख्यमंत्री से चर्चा होती है। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग तबादला आदेश जारी करता है।
- हो ये रहा: मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि अफसरों की नई पदस्थापना के लिए मुख्य सचिव प्रस्ताव तैयार करने के बाद मुख्यमंत्री से चर्चा करते हैं। मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बाद सामान्य प्रशासन विभाग आदेश जारी करता है। इसके बाद नोटशीट पर सिविल सर्विस बोर्ड के सदस्यों की सहमति ले लेते हैं।
