3 साल की उम्र में मिली गंभीर बीमारी, 24डॉक्टरों ने मना किया…फिर गूगल की मदद से खुद को दी नई जिंदगी!

3 साल की उम्र में मिली गंभीर बीमारी, 24डॉक्टरों ने मना किया…फिर गूगल की मदद से खुद को दी नई जिंदगी!


शुभम मरमट / उज्जैन. मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन की रहने वाली कौशिकी सिकरवार और उनके परिवार ने वो कर दिखाया जिसे आम लोग ‘चमत्कार’ कहेंगे. तीन साल की उम्र में दिल की गंभीर बीमारी VSD (Ventricular Septal Defect) की पहचान के बाद से ही कौशिकी की जिंदगी इलाज और संघर्ष के इर्द-गिर्द घूमती रही. 24 डॉक्टरों ने इलाज से मना कर दिया, लेकिन परिवार ने हार नहीं मानी.

जब डॉक्टरों ने कहा “इलाज असंभव”, गूगल बना सहारा
कौशिकी बताती हैं कि जब देश के बड़े-बड़े अस्पतालों से मायूसी मिली, तब उन्होंने खुद Google पर रिसर्च करना शुरू किया. चेन्नई के MGM हेल्थकेयर में संपर्क किया और परिवार COVID के समय चेन्नई शिफ्ट हो गया. डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद 4 जून 2024 को हार्ट और लंग्स दोनों का ट्रांसप्लांट संभव हो सका.

17 साल चला होम्योपैथिक इलाज, फिर मिला सही रास्ता
कौशिकी के पिता जन्मजय बताते हैं कि एक डॉक्टर ने उन्हें ग्वालियर जाकर होम्योपैथी इलाज की सलाह दी थी. 17 साल तक कौशिकी का इलाज स्कूली शिक्षा के साथ चला. इस दौरान दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरु, पुट्टापर्थी और लंदन तक के डॉक्टरों ने फाइल देखकर इलाज से मना कर दिया था.

बीमारी के बावजूद बनी उज्जैन टॉपर
कौशिकी ने अपनी शिक्षा कभी नहीं छोड़ी. वर्ष 2017 में 12वीं कक्षा में जिले की टॉप 3 मेरिट में आईं और 2018 में CS एंट्रेंस क्लियर कर देश की टॉप 5 रैंक में जगह बनाई. बीमारी के बीच भी उन्होंने बीकॉम ऑनर्स पूरा किया.

ट्रांसप्लांट से पहले बढ़ी समस्याएं, लेकिन आस्था बनी शक्ति
कौशिकी कहती हैं, “रामायण का पाठ और भगवान महाकाल पर आस्था ने मुझे टूटने नहीं दिया.” बीमारी के चलते उन्हें हार्ट प्रेशर, पल्स डाउन, बीपी लो और मेमोरी लॉस जैसी समस्याएं हुईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

4 जून 2024: नई जिंदगी का दिन
ट्रांसप्लांट की डेट 4 जून 2024 को आई. 7 घंटे के ऑपरेशन के बाद आज कौशिकी पूरी तरह स्वस्थ हैं. उनके पिता जन्मजय कहते हैं, “25 साल बाद बेटी के चेहरे पर मुस्कान देखना ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है.”

अब बनना चाहती हैं बदलाव की प्रेरणा
कौशिकी अब अन्य मरीजों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हैं. वे मानती हैं कि हिम्मत, शिक्षा और सही दिशा से हर असंभव को संभव बनाया जा सकता है. इस संघर्ष ने उन्हें न सिर्फ ज़िंदगी दी, बल्कि ज़िंदादिली भी सिखाई.



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