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Weed Control Tips: खरगोन में कपास, मक्का और सोयाबीन की फसल में चारे ने मचाई तबाही. जानिए कैसे कंट्रोल करें खरपतवार और कौन-सी दवा है सबसे असरदार.
मध्य प्रदेश का खरगोन जिला कृषि के क्षेत्र में सफेद सोने यानी बीटी कपास के लिए प्रसिद्ध है. खरीफ सीजन में यहां के किसान मुख्य रूप से कपास, सोयाबीन और मक्का की खेती करते हैं. लेकिन इन दिनों किसानों के सामने चारा (खरपतवार) की एक गंभीर समस्या खड़ी हो गई है. हालात ऐसे हैं कि कई खेतों में पौधों से ज्यादा चारा नजर आ रहा है, जो न केवल फसल की ग्रोथ रोक रहा है बल्कि मिट्टी के पोषक तत्व भी चूसकर फसल को कमजोर कर रहा है.

गौरतलब है कि, बेहतर उत्पादन के लिए किसान अच्छे बीज और उन्नत तकनीक से खेती कर उत्पादन बढ़ाने की कोशिश करते हैं, लेकिन खेत में बढ़ते खरपतवार उनकी राह में सबसे बड़ी रुकावट बन जाते हैं. खासकर जुलाई माह में जब बारिश लगातार होती है और खेतों में नमी बनी रहती है, तब खरपतवार तेजी से उग आते हैं. नमी वाली जमीन में ये खरपतवार तेजी से फैलते हैं और फसल को पीछे छोड़ देते हैं.

खरगोन के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं कि कपास, सोयाबीन और मक्का की फसल में खरपतवार पर नियंत्रण के लिए कुल्पा चलाए. यह सबसे सरल और सस्ता उपाय है. लेकिन यह भी है कि कई किसान ऐसे भी है जिनके पास मजदूरों ओर संसाधनों की कमी है. इसलिए वह कुल्पा नहीं चला पाते हैं.

ऐसे किसानों के लिए बाजार में कुछ असरदार खरपतवार नाशक दवाएं उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से चारे पर नियंत्रण पाया जा सकता है. डॉ. सिंह के अनुसार, पाइरीथियोबैक सोडियम 4% + क्विजालोफॉप एथिल 6% नामक दवा का मिश्रण बेहद प्रभावी माना गया है.

यह दवा सकरी और चौड़ी दोनों प्रकार की पत्ती वाले खरपतवार पर असर करती है. किसान इसे प्रति एकड़ 500 मि.ली. की मात्रा में 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़क सकते हैं. दवा का उपयोग तब करना चाहिए जब फसल की उम्र 20 से 25 दिन की हो जाए या खरपतवार 2 से 4 पत्ती की अवस्था में हो. इस समय छिड़काव करने से दवा खरपतवार पर सीधा असर करती है और कुछ ही दिनों में चारा सूखने लगता है.

इस दवा का उपयोग सुबह या शाम के समय करें, जब तेज धूप न हो. छिड़काव के बाद कम से कम छह घंटे तक बारिश न हो, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है. अगर खेत में पहले से ही बहुत ज्यादा चारा है तो कुल्पा चलाने के बाद ही दवा का उपयोग करना ज्यादा फायदेमंद रहेगा.

दवा का उपयोग करते समय सुरक्षा उपकरण जैसे दस्ताने और मास्क पहनना जरूरी है ताकि दवा का असर स्वास्थ्य पर न पड़े.एक्सपर्ट बताते है कि, खरपतवार पर समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है.

चारा फसल से नमी और पोषक तत्व खींच लेता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और पैदावार में गिरावट आती है. वहीं अगर शुरुआत में ही सही तकनीक और दवा से खरपतवार पर नियंत्रण पा लिया जाए, तो फसल न केवल बेहतर बढ़ेगी बल्कि उत्पादन भी बढ़ेगा. इससे किसान को लाभ भी ज्यादा मिलेगा.