मंदिर परिसर से लेकर शहर की सड़कों तक भक्तों की भीड़
सवारी की शुरुआत श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में पूजा-अर्चना के साथ हुई. इसके बाद पालकी मुख्य द्वार पर पहुंची, जहां सशस्त्र पुलिस बल ने भगवान महाकाल को सलामी दी. सवारी शहर के प्रमुख मार्गों गुदरी चौराहा, पटनी बाजार, कहारवाड़ी, रामघाट शिप्रा तट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, छत्री चौक, गोपाल मंदिर होते हुए मंदिर लौटेगी.
महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष पुजारी ने बताया कि सावन माह में भगवान महाकाल, जो उज्जैन के राजा माने जाते हैं, अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं. आज शिव तांडव और चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में दर्शन देने निकले बाबा के दर्शन से भक्तों में विशेष ऊर्जा देखी गई.
बैंड की गूंज और लोकनृत्य की झलक
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुसार सवारी को और अधिक भव्य स्वरूप देने के लिए इसमें राज्य स्तरीय बैंड्स और शैक्षणिक संस्थानों के स्काउट-गाइड दलों की सहभागिता रही. पुलिस बैंड, बीएसएफ, सरस्वती शिशु मंदिर खाचरौद-बड़नगर, इम्पीरियल स्कूल खाचरौद और स्थानीय सांस्कृतिक दलों की प्रस्तुति ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया.
महाकाल की सवारी के साथ जनजातीय कलाकारों के दल भी शामिल हुए. मध्यप्रदेश का करमा सैला नृत्य, कर्नाटक का ढोलू कूनीथा, जबलपुर का अहिराई और गणगौर लोकनृत्य ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया. ये सभी दल पूरे सवारी मार्ग में अपनी प्रस्तुति देते रहे.
भक्तों की उमड़ी अपार श्रद्धा
महाकाल की एक झलक पाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे. बाबा के दर्शन को अद्भुत मिलन बताया गया जहां भक्त और भगवान एक ही पथ पर चलते हैं. शिव तांडव की झांकी, पालकी की भव्यता और भक्तों की आस्था ने सावन सोमवार को एक यादगार धार्मिक अनुभव में बदल दिया.