प्रदेश में मानव-बाघ संघर्ष रोकने के लिए अब पहले से अधिक संवेदनशीलता की जरूरत है। क्योंकि जिस तरह प्रदेश में बाघों की आबादी बढ़ रही है, वैसे-वैसे वे अपने रहवास क्षेत्र का दायरा बढ़ाते जा रहे हैं। प्रदेश में वर्तमान में बाघों की आबादी लगभग 850 से 900 के
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वर्ष 2022 की बाघ गणना के मुताबिक मप्र में देशभर में सर्वाधिक 785 बाघ हैं। इनमें से सिर्फ 59.6% बाघ ही टाइगर रिजर्व में रह रहे हैं, बाकी 40.4% (300-350) बाघ संरक्षित वन क्षेत्र के बाहर खुले जंगलों में घूमते हैं। इसकी वजह टाइगर रिजर्व में जगह की कमी और खुले जंगलों में पर्याप्त मात्रा में प्रे-बेस (शाकाहारी जीव) की मौजूदगी होना है। वर्ष 2014 तक मप्र में बाघों की मौजूदगी वन क्षेत्र के सिर्फ 717 बीट्स में ही पायी जाती थी।
2018 की गणना में 1404 बीट्स में बाघों की मौजूदगी के प्रमाण मिले। 2022 की गणना में बाघों के रहवास क्षेत्र का दायरा और बढ़ा और 1855 बीट्स में बाघों का विचरण क्षेत्र पाया गया। अनुमान है कि 2026 की गणना के बाद इन बीट्स का दायरा 2000 को पार कर जाएगा। इसका सीधा मतलब है कि बाघ प्रदेश के उन जंगलों में भी दस्तक देंगे जहां अभी वे नहीं हैं, लेकिन वहां शाकाहारी वन्यजीवों की आबादी मौजूद है।
अनुमान है कि अगली गणना में मप्र में बाघों की संख्या पिछली गणना की 785 से बढ़कर 950 से ज्यादा हो जाएगी। वन अधिकारियों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के संकट के बीच मप्र में पारिस्थितिक संतुलन, जंगल और पर्यावरण बेहतर हो रहा हैै। टाइगर समेत सभी वन्यजीवों की बढ़ती संख्या इसका संकेत है।
देश में हो जाएंगे 4000 से ज्यादा बाध जब 2026 में बाघ गणना होगी, तब देश में बाघों की आबादी 4 हन्ार को पार कर जाएगी। इसमें करीब एक चौथाई मप्र में हनि। शुभरंजन सेन, पीसीसीएफ नवस्ड लाइफ
हर साल 16 हजार मवेशियों का शिकार
- मप्र में टाइगर रिजर्व के बाहर या बफर क्षेत्र में बाघ द्वारा हर साल मवेशियों के शिकार के मामले बढ़ रहे हैं। जो इस बात का प्रमाण है कि बाघ टाइगर रिजर्व के बाहर अपनी गतिविधि बढ़ा रहे हैं।
- वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 से 2025 के बीच बाघों ने हर साल औसतन 16 हजार मवेशियों का शिकार (किल) किया है। इसके एवज में वन विभाग को मवेशी मालिकों को मुआवजा देना पड़ा।
- वन्यजीवों के हमले में औसतन हर साल 700 लोग घायल हुए हैं। इन्हें भी मुआवजा दिया जाता है।
पन्ना, पेंच और सतपुड़ा रिजर्व को चुनौती देगा रातापानी, यहां 70 से ज्यादा बाघों का अनुमान
मप्र के सबसे नए डॉ. विष्णु वाकणकर टाक्षगर रिजर्व रातापानी में वर्ष 2020 में पहली बार वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गणना की तैयारी की जा रही है। पहली बार होगा जब केवल रातापानी लैंडस्केप नहीं, बल्कि रातापानी टाइगर रिजर्व के भीतर बाघों की संख्या का वास्तविक आकलन होगा। वन विभाग को यहां 70 से अधिक बाघों की मौजूदगी का अनुमान है। गणना के लिए स्टाफ को स्पेशल ट्रेनिंग देने के साथ ही ग्रीन मित्र और बाघ मित्र बनाने का काम किया ना रहा है। विभाग अब यहां के बार्थों को ग्रीन मित्रों की मदद से कैगरा टैप और साक्ष्य आधारित सर्वे से रिकॉर्ड में लाने की तैयारी कर रहा है।
तीन नए टाइगर रिजर्व बनाए आए… राज्य सरकार ने 2022 के बाद तीन नए टाइगर रिजर्व माधव, रानी दुर्गावती और रातापानी बनाए हैं। इनमें से रातापानी को लेकर विभाग सबसे ज्यादा आशान्वित है, क्योंकि यहां पहले से बड़ी संख्या में बाध सक्रिय हैं। इस बार गणना में यह रिजर्व सतपुड़ा, पना और पेन जैसे पुराने टाइगर हॉट स्पॉट को चुनौती दे सकता है। औबेदुल्लागंज बन डिवीजन के डीएफओ हेमंत रैकवार के मुताबिक रातापानी में गणना की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें ग्रामीणों व वन्यप्राणी प्रेमियों को बाघ मित्र और ग्रीन मित्र बनाया जा रहा है।