कांवड़िए के पैर में लोहे की जंजीर, घिसट-घिसटकर पूरी करेगा 35 KM की कांवड़ यात्रा, सजा नहीं…ये पश्चाताप

कांवड़िए के पैर में लोहे की जंजीर, घिसट-घिसटकर पूरी करेगा 35 KM की कांवड़ यात्रा, सजा नहीं…ये पश्चाताप


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जबलपुर के माछला कोरी ने पारिवारिक कारणों से कावड़ यात्रा में शामिल न हो पाने पर 35 किलोमीटर की यात्रा जंजीर बांधकर की. 16 घंटे में 20 किलोमीटर तय कर भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे.

हाइलाइट्स

  • माछला कोरी ने 35 KM की कांवड़ यात्रा जंजीर बांधकर की
  • 16 घंटे में 20 किलोमीटर तय कर भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे
  • दोस्तों ने माछला कोरी का साथ निभाया, 35 किलोमीटर साथ चले
Jabalpur News: कहते हैं ”इरादे सैकड़ों बनते हैं, बनकर टूट जाते हैं और कावड़ वही उठाते हैं, जिन्हें भोले बुलाते हैं…” लेकिन, जबलपुर के शख्स की कहानी कुछ अलग है. जब मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी कावड़ यात्रा में पारिवारिक कारणों से ये शख्स शामिल ही नहीं हो पाया, तब पूरे शरीर में कैदियों की तरह जंजीर बांध ली और अब 35 किलोमीटर बारिश के बीच पैदल चल रहा है. उसको चलते-चलते 16 घंटे बीत चुके हैं.

दरअसल जबलपुर में माछला कोरी (23 साल) रात करीब 8 बजे भारी बारिश के बीच अपने साथियों के साथ आगे बढ़ते जा रहे थे. बीच सड़क जो भी इस भक्ति की भक्ति को देख रहा था, वह आश्चर्यचकित हो जा रहा था. हालांकि, जगह-जगह इस भक्त को लोग स्वागत करने के लिए रोक भी रहे थे, लेकिन भक्त अपनी जिद्द पर अडिग था. बिना रुके आगे बढ़ता चला जा रहा था. रोकने वालों को बता रहा था कि गौरीघाट से कैलाशधाम तक 35 KM की यात्रा करने के बाद भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के बाद ही ये कदम रुकेंगे. कहा, ये मेरा पश्चाताप है.

कावड़ तैयार था, हाइट 16 फीट और वजन 55 किलो था
लोकल 18 को बताया, हर साल एमपी की सबसे बड़ी कावड़ यात्रा में शामिल होता था. इस बार भी कावड़ यात्रा में शामिल होना था. लेकिन, घर की परिस्थितियों के कारण शामिल नहीं हो पाया. बताया, कावड़ यात्रा में शामिल होने के लिए इस बार 16 फीट हाइट और 55 किलो वजनी कावड़ तैयार की थी. जिसे लेकर चलने वाला था. लेकिन, ऐसा नहीं हो पाया. जिसका मलाल रात भर हुआ. अच्छा महसूस नहीं कर रहा था. फिर जंजीर बांधकर उसी रूट पर यात्रा कर पश्चाताप कर रहा हूं.

रात के 3 बजे निकले…30 घंटे में होगी यात्रा पूरी
माछला ने बताया, सोमवार की रात 3 बजे घर से निकले थे. सुबह 5 बजे जबलपुर के गौरीघाट में पूजन अर्चन कर मां नर्मदा का प्रसाद स्वरूप जल लिया और जंजीर बांधकर धीरे-धीरे बिना रुके आगे बढ़ रहे हैं. सुबह से कुछ खाया भी नहीं हैं. 16 घंटे बीत जाने के बाद 35 किमी में से महज 20 किलोमीटर की ही यात्रा पूरी कर पाए. इस दौरान रात 9 बजे घमापुर चौराहे तक बारिश के बीच भीगते-भीगते पहुंचे. कुछ भक्त जरूर छाता लगाकर श्रद्धालु को बचाने की कोशिश करते दिखाई दिए. लिहाजा, अब मंगलवार सुबह 11 बजे मटामर स्थित कैलाश धाम में भोलेनाथ को स्नान कराएंगे.

दो दोस्तों ने नहीं छोड़ा मित्र का साथ 
भक्त माछला कोरी के साथ चल रहे दोस्तों ने बताया जैसे ही यह बात पता चली. तब सुनकर अच्छा नहीं लगा. लेकिन दोस्ती का फर्ज निभाया और 35 किलोमीटर साथ-साथ चल रहे हैं, जिससे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो. गौरतलब है मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी कावड़ यात्रा सावन माह के दूसरे सोमवार को संस्कारधानी जबलपुर में निकाली जाती है. यह यात्रा 35 किलोमीटर की होती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं. जहां कावड़िए जबलपुर के गौरीघाट से नर्मदा जल लेकर शहर भ्रमण करते हुए मटामर स्थित कैलाशधाम में भोलेनाथ को जलाभिषेक कराते हैं.

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कांवड़िए के पैर में जंजीर, घिसट-घिसटकर पूरी करेगा 35 KM की यात्रा, जानें क्यों



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