मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिजर्व के दो वनकर्मियों को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण द्वारा सम्मानित किया गया है। मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बसंत मरावी (वन रक्षक)
.
दोनों वनकर्मी घौरेला बाघ पुनर्स्थापन केंद्र में कार्यरत हैं। इस केंद्र में अनाथ बाघ शावकों और घायल बाघों को रखा जाता है। यहां अनाथ शावकों को तब तक प्रशिक्षित किया जाता है जब तक वे स्वयं शिकार करने में सक्षम नहीं हो जाते।
बसंत मरावी और सुखमन सिंह कुशरे ने अनाथ बाघ शावकों की देखभाल और मॉनिटरिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा, उन्होंने पेट्रोलिंग, वन्यजीवों के ट्रांसलोकेशन, वन्यप्राणी गणना और जंगल में आग से बचाव कार्यों में भी योगदान दिया है।
बाघ शावकों को शिकार करना उनकी मां सिखाती है। जब कोई शावक अनाथ हो जाता है या अपनी मां से बिछड़ जाता है, तो उसका जीवन संकट में पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में, कान्हा के घौरेला बाघ पुनर्स्थापन केंद्र में वन्यजीव चिकित्सक की देखरेख में उनका लालन-पालन किया जाता है।
इस केंद्र में शावकों को जंगल में जीवित रहने के लिए प्रशिक्षित भी किया जाता है। 2005 से अब तक 13 बाघों को प्रशिक्षण के बाद जंगल में छोड़ा जा चुका है। ये सभी बाघ वर्तमान में जंगल में सफलतापूर्वक जीवन यापन कर रहे हैं। इस समय केंद्र में 4 बाघ शावक हैं, जिन्हें जंगल में रहने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।


