खंडवा की अंशिका ने रचा इतिहास: 7 साल की उम्र में 30 सेकंड में मारे 208 पंच, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम”

खंडवा की अंशिका ने रचा इतिहास: 7 साल की उम्र में 30 सेकंड में मारे 208 पंच, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम”


मध्यप्रदेश के खंडवा जिले की बेटी अंशिका चौहान ने महज 7 साल की उम्र में वो कारनामा कर दिखाया, जो देशभर की बच्चियों के लिए मिसाल बन गया है. अंशिका ने सिर्फ 30 सेकंड में 208 पंच मारकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है. यह उपलब्धि उसने वर्ष 2022 में हासिल की थी.

सात साल में रिकॉर्ड, अब 10 साल की उम्र में छठवीं की छात्रा
अंशिका इस वक्त केंद्रीय विद्यालय खंडवा में छठवीं कक्षा में पढ़ रही है और उसकी उम्र अब 10 वर्ष है. वो न सिर्फ कराटे में पारंगत है, बल्कि राइफल शूटिंग में भी राज्य और रीजनल स्तर पर मेडल जीत चुकी है.

शुरुआत हुई थी आत्मरक्षा से
अंशिका की मां रानू चौहान, जो खुद भी स्कूली दिनों में स्पोर्ट्स में सक्रिय थीं, ने दोनों बेटियों को आत्मरक्षा के लिए कराटे क्लासेस भेजा था. मां की सोच थी कि बेटियां आत्मनिर्भर बनें और किसी भी विपरीत परिस्थिति में खुद का बचाव कर सकें.

रानू बताती हैं कि “हमारे समय में खेलों में आगे बढ़ने की उतनी आज़ादी नहीं थी, लेकिन मैंने ठान लिया था कि मेरी बेटियां वो सब करेंगी जो मैं नहीं कर पाई.”

कोच ने पहचानी क्षमता, फिर शुरू हुआ रिकॉर्ड की ओर सफर
कराटे क्लास के दौरान अंशिका की स्पीड और पंचिंग स्टाइल पर उनके कोच की नजर पड़ी. उन्होंने अंशिका को स्पीड पंचिंग की विशेष ट्रेनिंग दी. कुछ ही महीनों की मेहनत के बाद अंशिका ने 208 पंच का आंकड़ा छू लिया, जिसे रिकॉर्ड के लिए भेजा गया.

वर्ष 2022 में, मात्र 7 साल की उम्र में, अंशिका का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ.

अब लक्ष्य ओलंपिक का
अंशिका अब राइफल शूटिंग में भी हाथ आजमा रही है और उसने ब्रॉन्ज मेडल भी जीते हैं. उसका अगला सपना है ओलंपिक तक पहुंचना. उसकी मां बताती हैं कि दोनों बेटियां पढ़ाई और खेल को बराबर वक़्त देती हैं.

रानू कहती हैं कि “आज भी कई घरों में बेटियों को सीमाओं में बांधा जाता है लेकिन अगर उन्हें खुला आकाश मिले, तो वे किसी भी ऊंचाई तक उड़ सकती हैं.”

एक बेटी का रिकॉर्ड, हर माँ की जीत
खंडवा की यह छोटी सी बच्ची अब सिर्फ अपने जिले की नहीं, बल्कि पूरे देश की प्रेरणा बन चुकी है. उसकी मेहनत, माँ का विश्वास और कोच की ट्रेनिंग  तीनों ने मिलकर एक ऐसी कहानी लिखी है, जो हर घर में दोहराई जानी चाहिए.



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