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सुरेंद्रनगरकुछ ही क्षण पहले
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19 साल की दिव्या देशमुख चेस की सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बनीं।
भारत की 19 साल की दिव्या देशमुख ने चेस का FIDE महिला वर्ल्ड कप जीत लिया है। उन्होंने फाइनल में भारत की ही कोनेरू हम्पी को टाईब्रेक राउंड में हराकर खिताब जीता। वर्ल्ड चैंपियन बनने के साथ वे भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर भी बन गईं हैं।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी। इसी मौके पर दिव्या देशमुख के कोच रहे अनूप देशमुख ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।
दिव्या देशमुख के कोच रहे अनूप देशमुख ने कहा,

दिव्या देशमुख ने विश्व चैंपियन बनकर और पूरे देश का नाम रोशन कर दिया। दिव्या देशमुख जब महज साढ़े पांच साल की थीं, तब मैं उनसे पहली बार मिला था, तभी मुझे लगा था कि वे एक दिन शतरंज में भारत का नाम रोशन करेगी। मैंने 2012 में उन्हें कोचिंग दी।

दिव्या देशमुख और कोनेरू हम्पी के बीच चेस वर्ल्ड कप का फाइनल खेला गया।
‘शतरंज’ की लोकप्रियता 2005 से बढ़ने लगी’ अंतर्राष्ट्रीय शतरंज मास्टर अनूप देशमुख ने कहा, मैं 1972 से शतरंज खेल रहा हूं। शतरंज की लोकप्रियता 2005 से बढ़ने लगी। दिव्या देशमुख के पहले कोच राहुल जोशी थे। वह अब इस दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने ही दिव्या को शतरंज खेलना सिखाया था।
एक बार वह अपने परिवार के साथ बैडमिंटन मैच देखने गई थी। उस समय राहुल जोशी ने दिव्या को चॉकलेट दी और उसे शतरंज खेलने को कहा। इसके बाद उन्होंने दिव्या के पीछे 3-4 साल कड़ी मेहनत की। राहुल जोशी 2011 में मेरे पास आए और मुझसे कहा- मैंने दिव्या ट्रेनिंग दी है। अब आपको उसे देखना चाहिए। उस समय तक दिव्या शतरंज में अंडर-8 राष्ट्रीय चैंपियन बन चुकी थीं। उसके बाद, मैंने उन्हें आगे की ट्रेनिंग दी। मेरी ट्रेनिंग का मकसद भी उन्हें वर्ल्ड लेवल तक ही पहुंचाना था।
दिव्या का खेल देखकर मैं बहुत प्रेरित हुआ दिव्या और मेरी मुलाकात 2011 में टूर्नामेंट के दौरान हुई, जब वे छह साल की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थी। मैं उसका खेल देखकर बहुत प्रेरित हुआ। मुझे तब ही लगा था कि यह लड़की आगे जाकर शतरंज के खेल में बहुत नाम हासिल करेगी। मैं उस समय एलआईसी में एक एडमिन ऑफिसर था। मेरे पास उस समय जो उच्च स्तरीय किताबें थीं, मैने वह दिव्या को दीं और फिर उन्हें आगे की ट्रेनिंग देना शुरू किया। दिव्या की याददाश्त बहुत अच्छी है।
भारत में अब शतरंज जैसे खेलों में लड़कियां आगे आ रही हैं, जिस पर कोच अनूप देशमुख ने कहा- हमारे देश में यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था। जैसे चीन को 20-25 साल पहले ही समझ आ गया था। इसलिए उन्होंने उस दिशा में काम करना शुरू कर दिया। था। वहां खिलाड़ियों को 35 साल की उम्र में ही रिटायर कर दिया जाता है।

भारत का शतरंज का भविष्य बहुत उज्ज्वल है दिव्या के शतरंज में विश्व चैंपियन बनने के बाद भारत के भविष्य के बारे में बात करते हुए अनूप देशमुख कहते हैं कि दिव्या का खेल देखकर दूसरे खिलाड़ी और उनके माता-पिता शतरंज में और रुचि लेंगे। आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने शतरंज का हमेशा सपोर्ट किया है। आने वाले दिनों में अब चेस में भी युवाओं की रुचि बढ़ेगी। अब शतरंज के खेल को एक पेशेवर की तरह देखेंगे। और शतरंज में करियर बनाना भी संभव है। शतरंज में चैंपियन बनने के बाद, विदेश की कई यूनिवर्सिटीज में एडमिशन तक मिल जाता है।
गुकेश पिछले साल विश्व चैंपियन बने थे 19 साल के भारतीय डोमाराजू गुकेश पिछले साल पुरुष शतरंज में विश्व चैंपियन भी बने थे। जब उन्होंने 12 दिसंबर को चीन के डिंग लिरेन को हराकर महज 18 साल की उम्र में खिताब जीता था। इसके बाद गुकेश ने नॉर्वे के नंबर-1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को भी दो बार अलग-अलग टूर्नामेंट में हराया था।

गुकेश 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बने थे।
भारत शतरंज ओलंपियाड का चैंपियन भारत ने 23 सितंबर 2024 को शतरंज ओलंपियाड का खिताब भी जीता। देश की पुरुष और महिला दोनों टीमों ने 45वें शतरंज ओलंपियाड में चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया। देश की पुरुष टीम में अर्जुन इरिगैसी, आर. प्रज्ञानंद, डी. गुकेश, विदित गुजराती और पी. हरिकृष्णा शामिल थे। महिला टीम में हरिका द्रोणवाली, आर. वैशाली, दिव्या देशमुख, वंतिका अग्रवाल और तानिया सचदेव शामिल थीं।
अनूप देशमुख 2023 में जाफना ओपन 2023 में चैंपियन बने थे मौजूदा महिला विश्व चैंपियन दिव्या देशमुख के कोच रहे अनूप देशमुख दो साल पहले 2023 में जाफना इंटरनेशनल ओपन 2023 में चैंपियन बने थे।