दूध बेचकर बनें लखपति! मुर्रा से लेकर महसाना तक इन खास नस्ल की भैंसों का करें पालन, बन जाएंगे डेयरी के बादशाह

दूध बेचकर बनें लखपति! मुर्रा से लेकर महसाना तक इन खास नस्ल की भैंसों का करें पालन, बन जाएंगे डेयरी के बादशाह


सबसे ज़्यादा दूध देने वाली भैंसें. आजकल कई किसान भाई खेती के साथ-साथ दूध उत्पादन के व्यवसाय से भी जुड़ रहे हैं. यह एक अच्छा विकल्प है अपनी आय बढ़ाने का, लेकिन कई बार जानकारी के अभाव में किसान सही नस्ल की भैंसों का चुनाव नहीं कर पाते, जिससे उन्हें उतना मुनाफा नहीं हो पाता, जितनी उम्मीद होती है. अगर आप भी अपने दूध के व्यवसाय को नई गति देना चाहते हैं और ज़्यादा दूध प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

सही नस्ल की भैंसों का चुनाव आपके दूध उत्पादन को कई गुना बढ़ा सकता है. ऐसी भैंसें न केवल अधिक दूध देती हैं, बल्कि उनकी दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होती है, जिससे आपको बाज़ार में अच्छा दाम मिल सकता है. आइए जानते हैं कुछ ऐसी प्रमुख भैंसों की नस्लों के बारे में जो अपने अत्यधिक दूध उत्पादन के लिए जानी जाती हैं.

मुर्रा भैंस: दूध की सरिता बहाने वाली रानीजब बात ज़्यादा दूध देने वाली भैंसों की आती है, तो मुर्रा भैंस का नाम सबसे पहले आता है. यह नस्ल पूरे भारत में और यहाँ तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उच्च दूध उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है. मुर्रा भैंसों को ’काला सोना’ भी कहा जाता है, क्योंकि ये किसानों के लिए बेहद लाभदायक सिद्ध होती हैं.

इनकी पहचान इनके काले चमकदार रंग, छोटे और घुमावदार सींगों, और भारी-भरकम शरीर से होती है. एक स्वस्थ मुर्रा भैंस औसतन एक दिन में 15 से 20 लीटर तक दूध दे सकती है. कुछ उच्च गुणवत्ता वाली मुर्रा भैंसें तो प्रतिदिन 20 लीटर से भी ज़्यादा दूध देने की क्षमता रखती हैं. इनके दूध में वसा (फैट) की मात्रा भी अधिक होती है, जो डेयरी उत्पादों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. अगर आप दूध का व्यवसाय कर रहे हैं और उसे बड़े पैमाने पर ले जाना चाहते हैं, तो मुर्रा भैंसें आपके लिए सबसे उत्तम विकल्प हैं.

नीली रावी भैंस: पंजाब की एक और दमदार नस्लपंजाब में पाई जाने वाली नीली रावी भैंस भी दूध उत्पादन के मामले में किसी से कम नहीं है. इन्हें सतलुज नदी के आस-पास के क्षेत्रों में ज़्यादा देखा जाता है. इनकी पहचान इनके भूरे रंग, सफेद धब्बे, और नीली आँखों से होती है. नीली रावी भैंसें शांत स्वभाव की होती हैं और प्रबंधन में आसान होती हैं.

यह नस्ल औसतन दिन में 16 से 17 लीटर तक दूध दे सकती है. इनके दूध में भी वसा की अच्छी मात्रा पाई जाती है. नीली रावी भैंसें बीमारियों के प्रति भी काफी प्रतिरोधी होती हैं, जिससे किसानों को उनके स्वास्थ्य पर ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं पड़ती. दूध उत्पादन के साथ-साथ ये भैंसें अपनी प्रजनन क्षमता के लिए भी जानी जाती हैं.

जाफराबादी भैंस: गुजरात की शानगुजरात के गिर के जंगलों और सौराष्ट्र क्षेत्र में पाई जाने वाली जाफराबादी भैंस भी एक उत्कृष्ट दूध देने वाली नस्ल है. इनकी पहचान इनके विशाल शरीर, चौड़े माथे, और लंबे, घुमावदार सींगों से होती है जो इनके सिर के दोनों ओर नीचे की ओर मुड़े होते हैं. जाफराबादी भैंसें प्रतिदिन 10 से 12 लीटर दूध देती हैं, और कुछ अच्छी नस्लें तो इससे भी ज़्यादा दूध देने की क्षमता रखती हैं. इनके दूध में वसा की मात्रा भी काफी उच्च होती है, जो इसे पनीर और घी जैसे उत्पादों के लिए उपयुक्त बनाती है. अपनी मज़बूत संरचना और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण, जाफराबादी भैंसें किसानों के लिए एक भरोसेमंद विकल्प हैं.
महसाना भैंस: दो नस्लों का बेहतरीन संगममहसाना भैंस गुजरात के महसाना जिले में विकसित की गई एक संकर नस्ल है, जो मुर्रा और सुरती भैंसों के संकरण से बनी है. इस नस्ल में दोनों के अच्छे गुण मौजूद हैं, जिसके कारण यह अच्छी मात्रा में दूध देती है.

महसाना भैंसें औसतन एक दिन में  12 से 14 लीटर तक दूध दे सकती हैं. ये भैंसें अपनी लंबी दुग्ध अवधि (lactation period) के लिए भी जानी जाती हैं, जिसका अर्थ है कि वे अधिक समय तक दूध देती हैं. इनका स्वभाव शांत होता है और ये डेयरी फार्मिंग के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती हैं. अपने दूध के व्यवसाय को नई दिशा देंइन नस्लों का चुनाव करके और सही पोषण व देखभाल प्रदान करके, आप निश्चित रूप से अपने दूध के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं. दूध का व्यवसाय अब केवल खेती का पूरक नहीं रहा, बल्कि यह एक स्वतंत्र और लाभदायक व्यवसाय के रूप में उभर रहा है. सही नस्ल का चुनाव आपको इस व्यवसाय में सफलता दिला सकता है और आपके लिए दूध की नदियां बहा सकता है.



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