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Agriculture News: धान की रोपाई के बाद फसल का भविष्य तय करती है उसकी देखभाल. रोपाई के बाद धान की फसल में पानी, कीट, खरपतवार और उर्वरक का सही प्रबंधन बेहद जरूरी है. विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर 10-15 दिनों तक 3 से 5 सेमी पानी रखा जाए और समय पर कीटनाशक और खाद दी जाए, तो उपज और गुणवत्ता दोनों बेहतर हो सकती हैं.
धान की रोपाई के बाद खेत में 10 से 15 दिनों तक 3 से 5 सेमी पानी रखें. यह खरपतवार को रोकने और पौधे को मजबूती देने के लिए जरूरी है. फूल आने पर दोबारा इतनी ही गहराई में पानी देना उपज के लिए लाभकारी है.

धान की फसल में खरपतवार को रोकने के लिए पेंडिमेथालिन (1200-1500 मिली/200 लीटर प्रति एकड़) का छिड़काव करें. छिड़काव के बाद खेत में पानी जमा रखें, जिससे खरपतवार अंकुरित नहीं हो पाए और फसल को खुला स्थान मिले.

लोकल 18 को जानकारी देते हुए कृषि एक्सपर्ट विष्णु पांडे ने बताया कि धान की फसल में पत्ती मुड़ने वाला और तना छेदक कीट सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं. ट्रायजोफॉस और क्लोरपायरिफॉस जैसे कीटनाशकों का छिड़काव कर इनके प्रकोप को समय रहते नियंत्रित किया जा सकता है.

फसल में जीवाणु झुलसा और बौना पौधा जैसे रोग जल्दी फैलते हैं. ऐसे में खेतों की निगरानी जरूरी है. रोग दिखाई दें, तो तुरंत संक्रमित पौधे हटाएं और कृषि एक्सपर्ट से संपर्क करें, नहीं तो पूरी फसल संकट में पड़ सकती है.

किसान नाइट्रोजन को रोपाई के एक सप्ताह बाद ही दें और वह भी सुबह या शाम के समय, जब खेत में नमी हो. तेज धूप में या रोपाई के तुरंत बाद देने से पौधे कमजोर हो जाते हैं और फसल बर्बाद हो सकती है.

सिर्फ नाइट्रोजन नहीं बल्कि संतुलित खाद जैसे- एनपीके, डीएपी, पोटाश और जिंक भी जरूरी हैं. ये मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं, पौधों को रोगों से बचाते हैं और दानों को चमकदार और भरपूर बनाते हैं, जिससे उत्पादन बेहतर होता है.

एसआरआई और डीआरएस जैसे आधुनिक तरीके अपनाकर किसान कम पानी, कम बीज और कम श्रम में भी ज्यादा उपज पा सकते हैं. वर्षा की स्थिति में डीआरएस खास फायदेमंद है. वैज्ञानिकों का कहना है कि तकनीक अपनाने से उत्पादन 25 फीसदी तक बढ़ सकता है.

मिट्टी की जांच और बीज उपचार को नजरअंदाज न करें. वर्मी कम्पोस्ट से खेत की उर्वरता बढ़ती है और रोगों से सुरक्षा मिलती है. स्वस्थ बीज और पोषक मिट्टी ही फसल की नींव होती है, इसलिए शुरुआत यहीं से मजबूत बनानी होगी.