श्रद्धालु आज रात 12 बजे तक नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन कर सकेंगे।
उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रात 12 बजे खोले गए। महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत श्री विनीतगिरी महाराज ने त्रिकाल पूजन करके मंदिर के पट खोले। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ।
.
बता दें कि श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट हर साल सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं। श्रद्धालु आज रात 12 बजे तक दर्शन कर सकेंगे। यहां 10 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। प्रशासन ने भीड़ को संभालने और सुरक्षा के लिए 200 वरिष्ठ अधिकारी, 2,500 कर्मचारी, 1,800 पुलिसकर्मी और 560 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
रात 12 बजे बंद होंगे मंदिर के पट मंगलवार दोपहर 12 बजे फिर से महानिर्वाणी अखाड़ा की ओर से पूजन होगा। शाम को भगवान महाकाल की आरती के बाद पुजारियों और पुरोहितों द्वारा अंतिम पूजन किया जाएगा। इसके बाद रात 12 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे।
श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट हर साल सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं।
11वीं शताब्दी की श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की दुर्लभ प्रतिमा श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की मानी जाती है। इस अद्भुत प्रतिमा में शिवजी और माता पार्वती एक फन फैलाए हुए नाग के आसन पर विराजमान हैं। शिवजी नाग शैय्या पर लेटे हुए दिखाई देते हैं, और उनके साथ मां पार्वती तथा भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं।
प्रतिमा में सप्तमुखी नाग देवता भी दर्शाए गए हैं। साथ ही शिवजी और पार्वतीजी के वाहन नंदी और सिंह भी प्रतिमा में विराजित हैं। शिवजी के गले और भुजाओं में नाग लिपटे हुए हैं, जो इस मूर्ति की विशेषता को और अधिक दिव्य बनाते हैं।
श्री महाकालेश्वर मंदिर की संरचना तीन खंडों में विभाजित है। सबसे नीचे भगवान महाकालेश्वर का गर्भगृह है, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर मंदिर और तीसरे तथा शीर्ष खंड पर श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है।
इतिहासकारों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा बोजराजा ने 1050 ईस्वी के लगभग करवाया था। बाद में 1732 ईस्वी में सिंधिया राजघराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। ऐसा माना जाता है कि श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की यह दुर्लभ प्रतिमा नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित की गई थी।

इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा बोजराजा ने 1050 ईस्वी के लगभग करवाया था।
नागचंद्रेश्वर मंदिर की दर्शन व्यवस्था दर्शन के लिए श्रद्धालु पहले अस्थाई जूता स्टैंड पर अपने जूते-चप्पल रखेंगे। इसके बाद चारधाम मंदिर से लाइन में लगकर बेरिकेडिंग के माध्यम से हरसिद्धि मंदिर चौराहा, फिर बड़ा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए गेट क्रमांक 4 से प्रवेश करेंगे।
यहां से विश्रामधाम होकर एयरो ब्रिज के जरिए नागचंद्रेश्वर मंदिर तक पहुंचेंगे। दर्शन के बाद ब्रिज के रास्ते वापस विश्रामधाम आएंगे। नीचे मार्बल गलियारे से होकर यातायात प्रीपेड बूथ के पास बाहर निकलेंगे। इसके बाद सीधे हरसिद्धि चौराहे की ओर जा सकेंगे।
महाकाल मंदिर की दर्शन व्यवस्था श्रद्धालु महाकाल लोक के नंदी द्वार से प्रवेश करेंगे। इसके बाद मानसरोवर भवन से टनल के रास्ते मंदिर के कार्तिकेय मंडपम तक पहुंचेंगे। वहां से नीचे उतरकर गणेश मंडपम से महाकालेश्वर भगवान के दर्शन कर पाएंगे।दर्शन के बाद आपातकालीन मार्ग से बाहर निकलकर सीधे अपने गंतव्य की ओर जा सकेंगे।