बिना पैसे, बिना मशीन! MP के इस गार्डन में फूल-पत्तियों से बनती है देसी खाद, खेत में डालते ही दोगुना होगा उत्पाद

बिना पैसे, बिना मशीन! MP के इस गार्डन में फूल-पत्तियों से बनती है देसी खाद, खेत में डालते ही दोगुना होगा उत्पाद


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Agriculture News: बुरहानपुर के लालबाग क्षेत्र में आशीष शुक्ला और बंटी ठाकुर 10 वर्षों से देसी खाद बना रहे हैं. फूल-पत्तियों और गोबर से तैयार की गई यह खाद उनके 3000 स्क्वायर फीट के गार्डन में उपयोग होती है.

हाइलाइट्स

  • अपने गार्डन में खुद की देसी खाद तैयार किया
  • रविवार को कॉलोनी वासी मिलकर श्रमदान करते
  • गार्डन में लगे 200 से ज्यादा पौधों का उत्पादन बढ़ गया
बुरहानपुर. मध्य प्रदेश में सबसे अधिक खेती-किसानी होती है और यहां पर किसानों के साथ-साथ आम लोग भी जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर देसी खाद अपने घर पर ही तैयार कर लेते हैं और उस पेड़ पौधों की सिंचाई करते हैं, जिससे उनका उत्पादन भी अच्छा होता है. लालबाग क्षेत्र में रहने वाले आशीष शुक्ला और बंटी ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि हम ने अपनी कॉलोनी में गार्डन बना कर रखा है, जो करीब 3000 स्क्वायर फीट में है. यहां पर हम पिछले 10 वर्षों से अपने घर पर ही देसी खाद तैयार करते हैं, जिसमें जाम आम नींबू सुलझना सहित अन्य पौधे, जो लगे हुए हैं. उसके जो पत्ते होते हैं. उनसे और गोबर मिलाकर हमारे द्वारा देसी खाद बनाई जाती है और इसी गार्डन में यह खाद डालते हैं, जिससे हमारे पौधों पर फलों का उत्पादन भी बढ़ने लगा है. यह खाद बनाने में हमको कोई भी खर्च नहीं आता है. हम गार्डन से निकलने वाली फूल पत्तियों का ही इसमें उपयोग कर लेते हैं. पिछले 10 वर्षों से हमारे द्वारा यह खाद तैयार की जा रही है.

क्षेत्र के लोगों ने दी जानकारी 
लोकल 18 की टीम ने जब क्षेत्र के आशीष शुक्ला से बात की, तो उन्होंने बताया कि 10 साल पहले हमने गार्डन तैयार किया था. अब उस गार्डन से जो भी फल फूल पत्तियां निकलती है और उसमें हम गोबर मिलाकर इस खाद को तैयार करते हैं और घर से निकलने वाले जो पूजा के फूल होते है. उसको भी इसमें मिलाते हैं. उस से घरेलू खाद तैयार हो जाती है और इस खाद को हम उन पौधों में डालते हैं, जिससे हमारा उत्पादन भी बढ़ने लगा है और इस गार्डन में जो भी फल उगते हैं. हम अपने आसपास के क्षेत्र के लोगों को ही दे देते हैं इसको बेचते नहीं है.

10 साल से इस तरह की खाद कर रहे हैं तैयार 
कॉलोनी वासी रविवार के दिन यहां पर श्रमदान करने के लिए पहुंचते हैं. जब भी गार्डन की सफाई होती है. उस से जो भी फल फूल पत्तियां निकलती है. उसको एकत्रित कर कर रख दिया जाता है और उसको खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं. 20 से 25 दिन में बनकर तैयार हो जाती है. उसके बाद इसको हम पेड़ पौधों में डालना शुरू कर देते हैं. इस गार्डन में करीब 200 से अधिक पेड़ पौधे लगे हुए हैं, जो फल भी देते हैं.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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