महाकाल सवारी में ‘स्वामी मुस्कुराके’ का अनोखा अंदाज, वेशभूषा की कीमत लाखों में

महाकाल सवारी में ‘स्वामी मुस्कुराके’ का अनोखा अंदाज, वेशभूषा की कीमत लाखों में


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Baba Mahakal Sawari Ujjain News: पंडित शैलेंद्र व्यास करीब 40 साल से बाबा महाकाल की सवारी का हिस्सा बन रहे हैं. वह अपने अलग अंदाज में निकलते हैं. पंडित शैलेंद्र व्यास अपने सिर पर अतरंगी पगड़ी, उंगलियों में अंगू…और पढ़ें

उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर का माहौल बिल्कुल ही अलग रहता है. यहां की पहचान देश-विदेशों में बाबा महाकाल की नगरी के नाम से होती है. बाबा महाकाल सावन-भादो मास में अपने मंदिर परिसर से निकलकर भक्तों का हाल-चाल जानने उनके बीच पहुंचते हैं. बाबा की एक झलक पाने के लिए भक्तों को पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है. उज्जैन के राजा महाकाल जब नगर भ्रमण पर निकलते हैं, तो उनके प्रजा रूपी भक्त अनोखे अंदाज में बाबा का स्वागत करते हैं. मालवा की कहानी अपने आप में एक अनूठी कहानी है. उज्जैन मालवा के दिल में बसता है. ऐसे में एक नाम सामने आता है ‘स्वामी मुस्कुराके’ यानी पंडित शैलेंद्र व्यास जी का, जो अपने अनोखे अंदाज के लिए देशभर में मशहूर हैं.

स्कूल के प्रिंसिपल पंडित शैलेंद्र व्यास लगभग 40 साल से बाबा महाकाल की सवारी का हिस्सा बनते आ रहे हैं. वह अपने अलग ही अंदाज और स्वरूप में निकलते हैं. व्यास अपने सिर पर अतरंगी पगड़ी, गले में मोती-रत्नों की माला, अंगूठी, कानों में बड़े-बड़े बाले और रंगीन वेशभूषा को धारण किए हुए होते हैं, जोकि लाखों रुपये की होती है. स्वामी जी के पास पोशाक, पगड़ी, टोपी, मुकुट, माला, अंगूठी, कान के बाले का विशाल संग्रह है.

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कई अवॉर्ड से सम्मानित पंडित शैलेंद्र व्यास
साल 2004 में पंडित शैलेंद्र व्यास को राष्ट्रपति के हाथों देश में शिक्षकों के सबसे बड़े सम्मान से नवाजा जा चुका है. उन्हें दो बार राज्यपाल द्वारा भी अवॉर्ड मिल चुका है. वह बॉडी बिल्डिंग के इंटरनेशनल निर्णायक भी हैं. इस क्षेत्र में भी इन्हें कई अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. पंडित शैलेंद्र व्यास ने लोकल 18 से कहा कि शिक्षक का कार्य सिर्फ पढ़ाना ही नहीं होता बल्कि अपने विद्यार्थियों को कला, स्पोर्ट्स और सामाजिक गतिविधियों में प्रोत्साहित करना भी होता है.

जन्मदिन पर अनोखे अंदाज में बधाई
‘स्वामी मुस्कुराके’ यानी पंडित शैलेंद्र व्यास करीब 35 साल से लोगों के जन्मदिन पर उन्हें अनोखे अंदाज में शायरी के माध्यम से शुभकामनाएं देते हैं. इसकी शुरुआत में पहले केवल चुनिंदा लोग थे. अब यह आंकड़ा 35 हजार तक पहुंच चुका है. जिनको भी वह बधाई देते हैं, उन सभी का रिकॉर्ड उनके पास उपलब्ध है.

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