सागर जिले के मालथौन कस्बे में 25 जुलाई को 42 वर्षीय नीलेश आदिवासी ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिवार का कहना है कि बीते कुछ समय से नीलेश को कस्बे के ही कुछ लोग परेशान कर रहे थे। परिवार का आरोप है कि पुलिस सही कार्रवाई नहीं कर रही है।
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आखिर इस पूरे मामले की सच्चाई क्या है और किसके दबाव से तंग आकर नीलेश को खुदकुशी करनी पड़ी…इन सवालों के जवाब तलाशने दैनिक भास्कर की टीम सागर के मालथौन कस्बे में पहुंची।
नीलेश के घर तक का रास्ता पथरीला और कच्चा है।
सागर जिला मुख्यालय से लगभग 75 किलोमीटर दूर मालथौन तहसील है। मुख्य मार्केट से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर बड़ा मोहल्ला है। ये आदिवासी बाहुल्य मोहल्ला है। मोहल्ले में कुछ दूर कंक्रीट की सड़क पर चलने के बाद नीलेश का घर पूछने पर ऊबड़-खाबड़ पथरीले कच्चे रास्ते की ओर एक व्यक्ति ने इशारा किया।
हमारे हाथ में माइक देखकर कुछ दूर पर खड़ी एक महिला अपने छोटे बच्चे को गोद में लेकर पास आई और कहने लगी कि साहब यहां दारू की बहुत समस्या है। मर्द लोग जितना काम करते हैं, पूरा पैसा दारू में लुटा देते हैं। हम लोग भी जो काम करते हैं, हमें भी मार कर पैसा छीन लेते हैं और जाकर दारू पी लेते हैं। हमने उन्हें भरोसा दिया कि इस बारे में अफसरों को अवगत कराएंगे। इसके बाद हम आगे बढ़े।
दो कमरों का सीमेंट से बना नीलेश का पक्का घर है, जिसकी छत पर एसबेस्टस शीट छाई गई है। घर के सामने आंगन है जहां पर प्लास्टिक के कुछ डिब्बे रखे हैं। नीलेश के घर में अभी महिलाएं बच्चे और पुरुष मिलाकर लगभग 10 लोग हैं, जिनमें से कुछ लोग दूसरे गांव से आए हुए हैं।

नीलेश ने अपने घर पर फांसी लगाकर जान दे दी।
घर में फांसी पर लटका मिला नीलेश हमारे पूछने पर घर के बाहर खड़ी रजनी कहती हैं कि नीलेश मेरे जेठ थे। 25 जुलाई को मेरी जेठानी, उनके बेटी और बेटा तीनों एक कमरे में ही थे। दोपहर करीब 3 बजे जब जेठानी ने उठकर बगल वाले कमरे में देखा तो जेठ फांसी के फंदे पर लटक रहे थे। आनन-फानन में पुलिस और एम्बुलेंस को कई बार फोन किया, लेकिन जब दोनों नहीं आए तो परिवार के लोग खुद ही उनको उतारकर अस्पताल ले गए।
पत्नी बोली – दारू पिलाकर झूठी रिपोर्ट लिखवाई
नीलेश आदिवासी की पत्नी रेवा बताती है कि कुछ महीने पहले नितिन जैन, राघवेंद्र परिहार और अजीत राय मेरे घर आए थे। उन्होंने मेरे पति से कहा तुम्हारी जमीन पर किसने कब्जा कर लिया है। हम लोगों ने बताया कि मनोज जैन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया है, तो उन लोगों ने मेरे पति से कहा कि चलो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हैं।
फिर वह रात भर गायब रहे। यहीं पास में राघवेंद्र परिहार का घर है। वो वहीं रहे। फिर जब वो घर आ गए तो 2 दिन बाद राघवेंद्र परिहार मेरे पास आए और कहा कि भाभी जी आप दोनों खाटू श्याम चले जाओ। मैंने उनसे कहा कि नहीं मुझे कहीं नहीं जाना। हमने कुछ गलत नहीं किया है। उसने हमारी जमीन हड़पी है। तो वो बोले कि अगर वहां नहीं जाना है तो कहीं और चले जाओ। मैंने कहा कि हमारे इंदौर वाले ठेकेदार के पास हम चले जाएंगे, तो इन लोगों ने मुझे अजीत राय के ढाबे पर पांच हजार रुपए दिए। ढाबे से ही बस में बैठाया और मैं इंदौर पहुंच गई।
झूठी रिपोर्ट के लिए 10 लाख का लालच दिया रेवा ने कहा कि जब मैं इंदौर पहुंच गई तो दूसरे दिन मेरे छोटे बेटे का फोन आया। उसने मुझसे कहा कि मम्मी इन लोगों ने पापा को दारू पिलाकर मनोज जैन की जगह गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखवा दी है। तुम वापस आ जाओ।

दूसरे दिन ही राघवेंद्र परिहार, निक्की जैन और अजीत राय मेरे पति को सागर ले गए। वहां से मेरे पति ने फोन किया और कहा कि यह लोग कह रहे हैं कि अगर मैं गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ रिपोर्ट लिखाऊंगा तो हमें 10 लाख रुपए देंगे। मैंने मना कर दिया कि नहीं हमें ऐसा पैसा नहीं चाहिए। हमारी तो जमीन मनोज जैन ने ली है। हमको तो बस वह जमीन चाहिए।
किसी पर कोई झूठा मुकदमा नहीं करेंगे। फिर भी वह लोग दबाव डाल रहे थे तो मेरे पति ने उनसे कहा कि अगर मेरे ऊपर ज्यादा दबाव डालोगे तो मैं आत्महत्या कर लूंगा।
‘आत्महत्या से एक दिन पहले सात लोगों ने की मारपीट थी’
रेवा ने आगे कहा कि 24 जुलाई को रात 2 बजे वो घर वापस आए। मैंने उनसे पूछा कि तुम कहां गए थे? उन्होंने कहा कि मनोज जैन ने अपनी दुकान पर बुलाया था। उन्होंने खाना भी नहीं खाया।
फिर उन्होंने बताया कि मैं वहां गया तो वहां पहले से राघवेंद्र परिहार, अजीत राय, निक्की जैन, मनोज जैन और उनके साथ तीन लोग और थे। इन सातों ने मुझे मारा है और कहा है कि तेरा घर गिरवा देंगे। घरवालों को गोली मरवा देंगे। मेरे पति रात भर नहीं सोए और सुबह 5 बजे उठकर चले गए। फिर दोपहर में आए और किसी से कुछ नहीं कहा और आत्महत्या कर ली।

नीलेश की पत्नी ने आरोप लगाया कि उनके पति के साथ मारपीट भी की गई थी।
बेटे ने कहा- लगातार मिल रही धमकी से परेशान थे पापा
नीलेश के बेटे हेमंत ने बताया कि हम जब पापा को लेकर अस्पताल गए तो हमें लग रहा था कि शायद वो बच जाएंगे, लेकिन अस्पताल वालों ने बताया कि वो नहीं रहे। इसकी सूचना हमने थाने में जाकर दी। पापा पिछले कुछ दिनों से बहुत परेशान थे। यहीं के रहने वाले राघवेंद्र परिहार और मनोज जैन ने पापा को धमकी दी थी। पापा से कहा था कि तुम्हारा घर बुलडोजर से गिरवा देंगे। तुम्हारे बच्चों को भी जिंदा नहीं रहने देंगे। उन्हें गोली मार देंगे।
परेशान होकर मेरे पिताजी ने फांसी लगा ली। जब से पिताजी ने यह राजीनामा किया, तब से राघवेंद्र राजपूत पिताजी पर बहुत दबाव बनाने लगा और उन्हें तरह-तरह से परेशान करने लगा। उनके साथ मिलकर मनोज जैन भी पापा को परेशान करता रहा। ये लोग तरह-तरह से धमकाते रहे।
फांसी लगाने से पहले जब पिताजी रात में मनोज जैन के घर से बचकर भाग आए थे तो उनके पास उनका मोबाइल नहीं था। पता नहीं वहां मारपीट में उनका मोबाइल गिर गया था या उन लोगों ने ही मोबाइल छीन लिया था, लेकिन अभी तक हमें उनका मोबाइल नहीं मिला है।
इस मामले में पुलिस भी हम लोगों की कोई सुनवाई नहीं कर रही है। कल मम्मी ने उन लोगों के खिलाफ एसपी को भी आवेदन दिया है।

नीलेश के घर में मौत के बाद मातम पसरा है।
जिनकी वजह से फांसी लगाई उन्हें सजा मिलनी चाहिए नीलेश की बेटी प्रियंका का कहना है कि मेरे पिता को इंसाफ मिलना चाहिए। उनकी मौत के जिम्मेदारों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
नीलेश के छोटे भाई नीरज ने बताया कि अभी कुछ दिनों पहले एक दिन मेरे भाई मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे कि अपना घर मिट जाएगा। इसीलिए तुम गांव में यह बोल दो कि नीलेश मेरा भाई नहीं है। तब तुम्हारी जमीन बचेगी। तुम्हारा मकान बचेगा। वह बहुत ज्यादा दबाव में थे, इसीलिए उन्होंने फांसी लगा ली।
गोविंद सिंह राजपूत कौन जिनका नाम रिपोर्ट में लिखवाने का जिक्र है गोविंद सिंह राजपूत मालथौन के स्थानीय भाजपा नेता हैं। वे बताते हैं- मेरा परिवार 65 सालों से यहां सरपंच रहा। मेरी पत्नी ग्रामीण कांग्रेस की जिला अध्यक्ष थी। 2009 में भूपेंद्र सिंह हमें भाजपा में लेकर आए थे। फिर ये सांसद बने थे। फिर 2013 का चुनाव आ गया। उस विधायक के चुनाव में हमने उनके लिए अपने जीवन की पूरी जमा पूंजी खर्च कर दी। उन्होंने आरोप लगाया 2015 से वे रंजिश रखने लगे। क्षेत्र में हमारे प्रभाव की वजह से यह रंजिश शुरू हुई। हमें तरह-तरह से परेशान करते रहते हैं।

गोविंद सिंह राजपूत ने कहा- इसके पहले हमारे ऊपर कोई प्रकरण नहीं था, लेकिन 2015 में इन्होंने हम पर सीआरपीसी की धारा 110 लगवाई। मेरे बेटे पर भी झूठा प्रकरण दर्ज करवाया जिसे हमने हाई कोर्ट से निरस्त कराया।
इसके अलावा भी अलग-अलग तरीके से परेशान करते रहें, लेकिन जब उनका काम नहीं बना तब यह झूठा प्रकरण नीलेश से लगवाया, जबकि मैं उससे मिला भी नहीं था।
रविवार को एसपी कार्यालय में आवेदन दिया है कि नीलेश को मोहरा बनाकर जिन लोगों ने मेरे खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई, उसकी जांच कर संबंधित लोगों पर कार्रवाई की जाए।
सुसाइड से पहले नीलेश का वीडियो – कैसे लिखवाई झूठी रिपोर्ट
नीलेश के दो वीडियो सामने आए हैं। एक वीडियो में नीलेश का कह रहा है– मैं, कमलेश और मोहन दारू पी रहे थे, वहां राघवेंद्र परिहार और नितिन जैन गाड़ी से आए। वो हमें अजीत राय के ढाबे पर ले गए। वहां दारू पी। थोड़ी देर बात मुझसे कहने लगे कि तुम्हारी खेती मिल जाएगी। चलो मनोज जैन की थाने में रिपोर्ट करते हैं।
थाने पहुंचे तो वहां टीआई साहब बाहर ही खड़े थे। मैं, राघवेंद्र परिहार और नितिन जैन उनके बगल में खड़े हो गए। वहीं राघवेंद्र के फोन पर भूपेंद्र सिंह का फोन आया। उन्होंने टीआई से बात की, फिर हमें पता नहीं कि क्या रिपोर्ट लिख दी। उसके बाद मुझे पैसा देकर इंदौर भेज दिया।
इंदौर पहुंचकर मुझे पता चला कि गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ मेरे नाम से झूठी शिकायत लिखवा दी है। हम तो 2 साल से उनसे मिले ही नहीं, दो साल से परिवार के साथ इंदौर में काम करते थे।

वीडियो में नीलेश ने अपने नाम से थाने में झूठी रिपोर्ट लिखे जाने की बात कही थी।
मनोज जैन ने कहा- जबरन मुझे घसीटा जा रहा है
जब हमने मनोज जैन से बात की तो उन्होंने कहा कि मेरे नाम पर कोई जमीन नहीं है। न ही कोई जमीन मैंने कब्जा की है। इस पूरे मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। जबरन इस मामले में मेरा नाम घसीटा जा रहा है।
इस मामले में मृतक का परिवार राघवेंद्र परिहार और अजीत राय पर आरोप लगा रहा है। उनसे हमने कई बार फोन पर बात करने की कोशिश की। उनका पक्ष जानने के लिए उन्हें मैसेज भी किया, लेकिन जवाब नहीं आया।
राघवेंद्र परिहार और अजीत राय दोनों ही बीजेपी से जुड़े हुए हैं। अजीत राय सागर जिले के पिछड़ा वर्ग मोर्चे के जिला मंत्री है।
अब तक सिर्फ मर्ग कायम, एफआईआर दर्ज नहीं
मालथौन थाना प्रभारी अशोक यादव ने बताया कि 25 जुलाई को अस्पताल से एक व्यक्ति के मृत्यु संबंधित सूचना आई। अस्पताल जाकर हमें पता चला कि नीलेश नाम के आदिवासी युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है।
इसके बाद हमने शव का पीएम कराया और इसकी मर्ग कायमी की। मृतक के परिवार का बयान लेकर आगे कार्रवाई करेंगे। अभी तक मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। अभी जांच चल रही है।