सिर्फ नागपंचमी पर खुलता है ये मंदिर, दर्शन के बाद खुद देखें चमत्कार!

सिर्फ नागपंचमी पर खुलता है ये मंदिर, दर्शन के बाद खुद देखें चमत्कार!


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Nag Panchami 2025: नागपंचमी के अवसर पर उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट बीती रात 12 बजे खोले गए. सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत श्री विनीत गिरी महार…और पढ़ें

उज्जैन. हिंदू धर्म में हमेशा से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है. हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण भी माना गया है. वैसे देश में अनेकों मंदिर हैं, जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी विख्यात हैं. उन्हीं में से एक उज्जैन जिले का श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर है, जोकि साल में मात्र एक बार श्रावण शुक्ल पंचमी यानी कि नागपंचमी के दिन खुलता है, वो भी सिर्फ 24 घंटे के लिए. खास बात यह भी है कि यह मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है.

उज्जैन में नागपंचमी पर श्री महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट बीती रात 12 बजे खोले गए. इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत श्री विनीत गिरी महाराज ने त्रिकाल पूजन किया. इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ. श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है. इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं. कहते हैं कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी. उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है. पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ शेषशय्या पर विराजमान हैं. मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में भगवान शिव, गणेश और मां पार्वती दशमुखी सर्पशय्या पर विराजित हैं. शिव शंभू के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं.

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क्या है पौराणिक मान्यता?
सर्पराज तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी. तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया. मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न न हो. अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं. शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है. इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है.

श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था
श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालु पहले अस्थायी जूता स्टैंड पर अपने जूते-चप्पल रखेंगे. इसके बाद चारधाम मंदिर से लाइन में लगकर बेरिकेडिंग के माध्यम से हरसिद्धि मंदिर चौराहा, फिर बड़ा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए गेट नंबर चार से प्रवेश करेंगे. यहां से विश्रामधाम होकर एयरो ब्रिज के जरिए नागचंद्रेश्वर मंदिर तक पहुंचेंगे. दर्शन के बाद ब्रिज के रास्ते वापस विश्रामधाम आएंगे. नीचे मार्बल गलियारे से होकर यातायात प्रीपेड बूथ के पास बाहर निकलेंगे. इसके बाद सीधे हरसिद्धि चौराहे की ओर जा सकेंगे.

नागपंचमी पर कैसे करें महाकाल दर्शन?
नागपंचमी के पावन पर्व पर महाकाल लोक के नंदी द्वार से प्रवेश करेंगे. इसके बाद मानसरोवर भवन से टनल के रास्ते मंदिर के कार्तिकेय मंडपम तक पहुंचेंगे. वहां से नीचे उतरकर गणेश मंडपम से महाकालेश्वर भगवान के दर्शन कर पाएंगे. दर्शन के बाद आपातकालीन मार्ग से बाहर निकलकर सीधे अपने गंतव्य की ओर जा सकेंगे.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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