प्रदेश में अब उद्योगों में हड़ताल और तालाबंदी करने के लिए उद्योग प्रबंधन को डेढ़ माह पहले सूचना देना होगी। विधानसभा ने इससे संबंधित श्रम विभाग के संशोधित नियमों को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही ठेकेदारों के लिए कर्मचारियों को रखने के लिए लाइसेंस प्रक्रि
.
विधानसभा में आज मध्यप्रदेश श्रम विधियां (संशोधन) और प्रकीर्ण विधेयक 2025 को मंजूरी देने के बाद ये बदलाव प्रभावी हो जाएंगे। इस विधेयक में सरकार ने चार संशोधनों को विधानसभा से मंजूरी दिलाई है। पहला संशोधन ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) अधिनियम 1970 में संशोधन को लेकर है जबकि दूसरे संशोधन में कारखाना अधिनियम 1948 और तीसरे संशोधन में औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में बदलाव किया गया है। चौथा संशोधन प्रकीर्ण उपबंध को लेकर है।
ठेकेदारों को लाइसेंस से मिलेगी राहत विधानसभा में पारित विधेयक में ठेका श्रम विनियमन और उत्पादन अधिनियम 1970 के जरिये ठेकेदारों को राहत देने का काम किया गया है। संशोधन में व्यवस्था तय की गई है कि अब 50 से कम ठेका श्रमिकों को लेकर काम करने वाले छोटे ठेकेदारों और नियोजकों को अनावश्यक रूप से ठेका अधिनियम की प्रक्रिया और उपबंधों का पालन करना अनिवार्य नहीं होगा। साथ ही इसके लिए उन्हें लाइसेंस लेने की अनिवार्यता भी नहीं रहेगी। पहले 20 या अधिक कर्मचारी रखने पर लाइसेंस लेने की अनिवार्यता थी। सरकार का कहना है कि इसके बाद अब निवेश के लिए माहौल बनेगा।
कारखाने के लिए 20 कर्मचारियों का बंधन खत्म, अब 40 कर्मचारी पर लाइसेंस श्रम विभाग के इस विधेयक को मंत्री प्रहलाद पटेल ने सदन में पेश किया था जिसे बगैर किसी तरह की चर्चा के मंजूरी दी गई है। इसमें पहले यह प्रावधान था कि अलग-अलग कैटेगरी के कारखानों के लिए 10, 20 कर्माचारी होने पर लाइसेंस लेना जरूरी था। अब इसमें बदलाव कर दिया गया है और अलग-अलग कैटेगरी में 10 और 20 कर्मचारी की संख्या को 20 और 40 कर्मचारी तय कर दिया गया है। अब इस नई कर्मचारी संख्या के आधार पर लाइसेंस लिए जा सकेंगे। सरकार का कहना है कि इससे कारखाना अधिनियम के प्रक्रिया और प्रावधानों से प्रबंधन को राहत मिलेगी और अधिक संख्या में कारखाने खुल सकेंगे। निवेश और रोजगार बढ़ेगा।
औद्योगिक विवाद में राहत देगा नियमों में बदलाव विधानसभा में औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में जो बदलाव किए गए हैं उसके बाद सरकार का दावा है कि औद्योगिक विवाद कम होंगे और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। विधानसभा में पारित किए गए प्रावधान के मुताबिक अब श्रमिकों को हड़ताल और तालाबंदी से संबंधित मामलों के लिए प्रबंधन को छह सप्ताह यानी डेढ़ माह पहले सूचना देना होगी। ऐसा किए जाने का असर यह होगा कि प्रबंधन को हड़ताल और तालाबंदी से संबंधित विवाद और समस्याओं के समाधान के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा और श्रम विभाग के साथ चर्चा कर फैसले लिए जा सकेंगे।