मध्यप्रदेश में संविदा ANM (सहायक नर्स मिडवाइफ) की नियमित नियुक्ति को लेकर विवाद गहरा गया है। राज्यभर से आईं लगभग 400 ANM महिलाएं राजधानी भोपाल स्थित जेपी अस्पताल परिसर में स्वास्थ्य संचालनालय के सामने आमरण अनशन पर बैठी हैं। बीते दो दिनों से महिलाएं ध
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मंगलवार शाम करीब 7:30 बजे पुलिस इन्हें हटाने पहुंची, जिसका वीडियो सामने आया है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहीं ममता हिरवे (प्रांत प्रमुख, राष्ट्रीय मानवाधिकार न्याय आयोग) ने कहा कि हाईकोर्ट ने हमारे पक्ष में आदेश दिया था, फिर भी नियमित नियुक्ति नहीं दी गई। अब हमें प्रदर्शन से भी रोका जा रहा है।
हिरवे ने कहा कि 5 जून 2025 को पांच दिन का धरना देने के बाद उप मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया था। लेकिन एक महीना बीत चुका है और कोई आदेश जारी नहीं हुआ।
हाईकोर्ट का आदेश भी नजरअंदाज प्रदर्शनकारी ANM में से कई वे महिलाएं हैं जिन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की थी। 28 अप्रैल को जबलपुर हाईकोर्ट ने विभाग को निर्देश दिए थे कि जिन ANM के पास 18 माह का डिप्लोमा है, उन्हें नियमित नियुक्ति दी जाए। इन महिलाओं ने परीक्षा दी, पास भी हुईं, लेकिन विभाग ने पहले नियुक्ति दी और बाद में उसे निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ महिलाओं ने फिर से कोर्ट में सामूहिक याचिका दायर की और कोर्ट ने दोबारा नियुक्ति का आदेश दिया।
अमानवीय व्यवहार का आरोप हिरवे ने आरोप लगाया कि बारिश के दौरान जब महिलाएं परिसर में अंदर जाना चाहती थीं, तो अधिकारियों ने गार्ड को निर्देश दिया कि कोई भी अंदर न आए। महिलाएं फिर भी शांति से प्रदर्शन कर रही हैं। बिना छत, भोजन और सुविधाओं के लगातार प्रदर्शन कर रहीं कुछ महिलाओं की तबीयत बिगड़ रही है। बावजूद इसके वे आंदोलन जारी रखे हुए हैं।
क्या है भर्ती विवाद
2022-23 में संविदा ANM के लिए भर्ती निकाली गई थी। नए नियम में 24 माह का डिप्लोमा जरूरी कर दिया गया, जबकि पहले 18 माह वाला डिप्लोमा मान्य था। पुराने संविदा कर्मचारियों ने इसे कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने आदेश दिया कि 18 माह डिप्लोमा धारकों को भी परीक्षा में बैठने की अनुमति मिले। इसके बाद लगभग 400 ANM महिलाओं ने परीक्षा दी, उत्तीर्ण हुईं और चयनित भी।
124 महिलाओं को नियमित नियुक्ति दी गई। 6 महीने तक सेवा देने के बाद विभाग ने नियुक्तियां रद्द कर दीं। दोबारा कोर्ट गए, और वहां से भी फैसला उनके पक्ष में आया। बावजूद इसके आदेश लागू नहीं किए जा रहे।
प्रमुख मांगें
- सभी योग्य अभ्यर्थियों को तत्काल नियमित नियुक्ति आदेश दिए जाएं
- वेटिंग लिस्ट और मेरिट लिस्ट पारदर्शी तरीके से लागू हो
- पिछले आदेशों को निरस्त करने की प्रक्रिया रोकी जाए
- संविदा कर्मचारियों को आरक्षण और अनुभव के अंक दिए जाएं
- जिला आवंटन में कथित भ्रष्टाचार की जांच कराई जाए
नौकरी दो या इच्छा मृत्यु की मंजूरी
प्रदर्शन कर रहीं कई ANM ने कहा कि हमारे पास परिवार चलाने के साधन नहीं हैं, बच्चों की फीस, घर का किराया, दवाइयां तक उधार में लेनी पड़ रही हैं। अब नौकरी दो, या इच्छा मृत्यु की इजाजत। ममता हिरवे ने कहा, यह सिर्फ नौकरी की लड़ाई नहीं है, यह सम्मान और न्याय की लड़ाई है, जिसे हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे।