लोकायुक्त को मिली शिकायतों पर जांच प्रकरण और आपराधिक प्रकरण दर्ज होने को लेकर कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने विधानसभा में सवाल पूछा।
मप्र के सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार से जुडे़ मामलों में शिकायतें होने के जांच कब शुरु होगी। शिकायत मिलने के बाद जांच प्रकरण (PE) दर्ज कर जांच शुरु करने और आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की कोई समयसीमा तय नहीं हैं।
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9% शिकायतों पर ही शुरू हुई जांच विधानसभा में कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल के जवाब में सामने आया कि पिछले साल सालों में लोकायुक्त के पास 35434 शिकायतें पहुंची। चौंकाने वाली बात ये है कि 9.64% शिकायतों पर ही लोकायुक्त ने जांच प्रकरण(PE) दर्ज किए हैं। मात्र 1897 मामलों में आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
शिकायत मिलने के बाद जांच की कोई औसत अवधि तय नहीं विधायक प्रताप ग्रेवाल के प्रश्न के जवाब में गृह विभाग की ओर से बताया गया कि लोकायुक्त में शिकायत मिलने के बाद जांच प्रकरण दर्ज करने की औसत अवधि निर्धारित नहीं है तथा जांच प्रकरण उपरांत अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की औसत अवधि बताया जाना संभव नहीं है विधायक प्रताप ग्रेवाल ने पूछा था की शिकायत पर जांच प्रकरण दर्ज करने में तथा जांच प्रकरण पर अपराध प्रकरण दर्ज करने में तथा न्यायालय से फैसले होने में औसत अवधि क्या है?
जानकारी छिपाना चाहती है सरकार प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि यह तो सभी जानते हैं की औसत अवधि पहले से तय नहीं होती। वह तो अंकों की जोड़ -बाकी, गुणा-भाग से बनती है। यह उत्तर मुख्यमंत्री जी ने दिया है। सरकार यह छुपाना चाहती है कि जांच प्रकरण दर्ज करने की औसत अवधि 2 साल से ज्यादा और अपराधिक प्रकरण की औसत अवधि 3 साल से ज्यादा है।
ग्रेवाल ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट कहना है कि “जस्टिस डीले जस्टिस डिनाय” न्याय में विलंब न्याय से इंकार है। इतनी लम्बी अवधि में न्याय से शिकायत का मकसद ही ख़त्म हो जाता है। ग्रेवाल ने कहा- निराकरण में हो रही देरी के कारण लोकायुक्त में शिकायतें लगातार घट रहीं हैं। यानी कि लोगों का भरोसा लोकायुक्त से कम हो रहा है।
लोकायुक्त में घट रहीं शिकायतें साल 2019-2020 में 5508 शिकायतें मिलीं। कोरोना काल 2020-2021 में 4899 शिकायत लोकायुक्त के पास पहुंची थीं। 2024-2025 में घटकर मात्र 4225 शिकायतें मिलीं हैं।
रिश्वत के मामले भी घटे ग्रेवाल ने कहा- साल 2019 में रिश्वत के 244 मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज हुए थे। वहीं, 2024 में 196 प्रकरण दर्ज हुए और पद के दुरुपयोग के 45 प्रकरणों की तुलना में मात्र 26 प्रकरण दर्ज हुए। अनुपातहीन संपत्ति के 29 प्रकरणों की तुलना में मात्र 15 प्रकरण दर्ज हुए।