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Sawan Pradosh Vrat: सावन के अंतिम प्रदोष व्रत बहुत खास होने वाला है, क्युंकि इस दिन कई शुभ सयोंग बन रहे है. इस दिन भोलेनाथ की विशेष कृपा बरसेंगी.
हाइलाइट्स
- सावन मास के अंतिम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व
- दुर्लभ शिववास योग के साथ
- जरूर करें सावन मास का प्रदोष व्रत
वैदिक पंचांग के अनुसार, 06 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 08 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत होगी. वहीं, 07 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का समापन होगा. सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पूजा का शुभ समय शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 16 मिनट तक है.
प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और बुध प्रदोष व्रत करने से भगवान भोलेनाथ आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. प्रदोष व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति के संकट दूर होते हैं, दुख, कष्ट और पाप का नाश होता है. साथ ही सुख और सौभाग्य में वृ्द्धि होती है.
जरूर करें इन नियमों का पालन
-प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ देकर व्रत का संकल्प लें. -इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें.
-इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. -फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें.
-पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें
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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.