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Guava Farming: रेड डायमंड अमरूद की खेती से 6 महीने में दो बार फसल और ₹80,000 तक की सरकारी सब्सिडी. जानिए पूरी प्रक्रिया, पोर्टल रजिस्ट्रेशन और किसानों की असली कहानियाँ. (रिपोर्ट: अनुज गोतम)
बुंदेलखंड के किसान सालों से परंपरागत खेती में मेहनत तो खूब करते रहे, लेकिन आमदनी का रास्ता मुश्किलों से भरा रहा. बारिश के भरोसे खेती करने वालों को न तो फसल की गारंटी थी, न ही मुनाफे की उम्मीद. ऐसे में अब एक नई पहल ने उम्मीद की किरण जगाई है थाईलैंड से आई अमरूद की एक खास किस्म, जिसका नाम है रेड डायमंड.

इस अमरूद की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे लगाने के महज छह महीने के अंदर फल लगने लगते हैं और साल में दो बार अच्छी पैदावार होती है. यही नहीं, इसका दाम भी बाज़ार में आम अमरूद से कहीं ज्यादा मिलता है.

किसान बताते हैं कि ये अमरूद आधे पानी में भी भरपूर फल देता है. यानी जो खेती अब तक घाटे का सौदा लगती थी, वही अब कमाई का ज़रिया बन सकती है.

सागर ज़िले में इस नई किस्म की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कमर कस ली है. कलेक्टर साहब के निर्देश पर अब तक 1 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं और निजी किसानों को भी इतने ही पौधे देने का लक्ष्य तय किया गया है.

इसमें से 40 हजार पौधे लगाने के लिए किसानों ने खुद आगे बढ़कर तैयारियाँ भी शुरू कर दी हैं. सरकार ने इस अमरूद की खेती के लिए अनुदान भी तय किया है. किसानों को 60 से 80 हज़ार रुपये तक की मदद दी जाएगी, जिससे वे आसानी से पौधे लगा सकें और बगीचा तैयार कर सकें.

इसके लिए सबसे पहले mpfsts पोर्टल पर पंजीयन करना होगा. इसके बाद आधार कार्ड, बैंक पासबुक, और ज़मीन से जुड़े दस्तावेज़ जैसे B1 और B2 की नकल अपलोड करनी होगी.

जो किसान मनरेगा जॉब कार्ड वाले हैं, वे सीधे पंचायत का प्रमाण पत्र और दस्तावेज़ लेकर उद्यानिकी विभाग पहुँच जाएँ, उन्हें लॉटरी का इंतज़ार नहीं करना होगा.

एक किसान ने बताया कि पहली फसल कब होगी, होगी भी या नहीं, यही सोच-सोच कर दिन बीतते थे. अब ये अमरूद ऐसा है कि आधे साल में ही खेत में हरियाली दिखने लगती है. दूसरे किसान ने बताया कि अब बेटा शहर जाने की बात नहीं करता, कहता है गांव में ही अमरूद से अच्छी कमाई हो जाएगी.