नगरीय निकायों की माली हालत ठीक करने के लिए इनके भारी-भरकम खर्च कम करने की कवायद शुरू हुई है। पहले चरण में थर्ड पार्टी ऑडिट कर बिजली की फिजूलखर्ची पर लगाम कसने की योजना है। रीवा नगर निगम में इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ है।
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यहां निजी फर्म हायर कर पंपिंग स्टेशन, बोरवेल, स्ट्रीट लाइट, निगम भवनों का ऑडिट किया जा रहा है। दो महीने बाद ये सभी 413 नगरीय निकायों में लागू होगा। मकसद ये है कि सभी नगरीय निकाय बिजली खर्चों का आकलन करें। इसके आधार पर बचत के उपाय लागू किए जाएं। गौरतलब है कि नगरीय निकायों का सबसे ज्यादा खर्च स्थापना, बिजली और डीजल पर होता है।
स्थापना, बिजली और डीजल… इन पर नगरीय निकायों का सबसे ज्यादा खर्च
ऑडिट… हर कनेक्शन जांचेंगे, रिकॉर्ड बनेगा
- फर्म निगम से जुड़ी बिजली की खपत और बिलों की तुलना करके रिपोर्ट बनाएगी। कंज्यूमर नंबर से हर कनेक्शन जांचा जाएगा।
- हर मीटर कनेक्शन का रिकॉर्ड तैयार होगा। रिपोर्ट में बताएंगे, ऊर्जा खपत, बिलिंग और मीटरिंग सिस्टम की मौजूदा स्थिति क्या है।
- ऑडिट के आधार पर उपकरणों की मरम्मत, बदलाव और पुराने की जगह आधुनिक उपकरणों की स्थापना जैसे उपाय होंगे।
- पावर फैक्टर सुधारने, कंट्रोल पैनल में अपग्रेडेशन, ऑटोमेशन सिस्टम जैसे सुधार भी लागू किए जाएंगे।
सेंसर लगाकर रोकेंगे बर्बादी रीवा निगम आयुक्त सौरभ संजय सोनवाने ने बताया, निगम का सालाना 10-12 करोड़ का खर्चा बिजली पर होता है। बड़े खर्च एसटीपी, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और स्ट्रीट लाइटिंग के हैं। हाल में 1.50 करोड़ सेस भी देना पड़ा था। निष्क्रिय कनेक्शनों की बिलिंग रोकेंगे।
जहां संभव होगा, सेंसर लगाएंगे ताकि कोई मौजूद न हो तो बिजली अपने आप बंद हो जाए। 180 किलोवाट सौर ऊर्जा की भी डिमांड बनाकर ऊर्जा विकास निगम को दी है। ऑडिट करने वाली फर्म को ही उपाय लागू करने का जिम्मा दिया जाएगा।
भोपाल निगम में बिजली का सालभर का खर्च 160 से 180 करोड़ भोपाल नगर निगम का बिजली खर्च 13-14 करोड़ रुपए हर महीने और साल में लगभग 160 से 180 करोड़ के बीच रहता है। इस साल ऊर्जा दरें 28 पैसे प्रति यूनिट बढ़ी हैं यानि साल में 5-6 करोड़ खर्च बढ़ जाएगा। निगम के बिजली खर्चों में लगभग 50% जलापूर्ति, बाकी 25%-25% स्ट्रीट लाइटिंग और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर होता है। शहर को होने वाली पानी की सप्लाई का बड़ा हिस्सा 80 किमी दूर सीहोर के शाहगंज से आता है।
फर्म को ही जिम्मा…. खास बात यह है कि रीवा नगर निगम में एनर्जी ऑडिट करने वाली फर्म जो उपाय सुझाएगी, उसे ही ये उपाय लागू करने का जिम्मा भी दिया जाएगा, ताकि काम सिर्फ कागजों पर न रहे।
सौर ऊर्जा से निकाय चलाने की तैयारी पिछले एक डेढ़ साल से नगरीय प्रशासन विभाग निकायों में कैप्टिव प्लांट लगाकर सौर ऊर्जा के उपयोग की तैयारी कर रहा है। भोपाल -इंदौर जैसे निगमों में रूफटॉप सोलर पैनल लगाकर प्रयोग शुरू हो चुके हैं। हाल में विभाग ने कैप्टिव प्लांट्स को लेकर डीपीआर बनाने के निर्देश दिए हैं।
निकायों को आत्मनिर्भर बनाना है ^नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थापना व्यय कम करने की योजना है। बिजली के खर्च कम करने के लिए रीवा में दो महीने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके बाद इसे सभी 413 नगरीय निकायों में लागू करेंगे। थर्ड पार्टी ऑडिट का सहारा लिया जाएगा। संकेत भोंडवे, आयुक्त नगरीय विकास एवं आवास