चखा है सतना की फेसम कोमढौरी बरी? सेहत-स्वाद का परफेक्ट कॉम्बो, नोट करें रेसिपी

चखा है सतना की फेसम कोमढौरी बरी? सेहत-स्वाद का परफेक्ट कॉम्बो, नोट करें रेसिपी


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Satna ki Famous Komdhauri Badi Recipe : बघेलखंड की पारंपरिक रेसिपी कोमढौरी बरी न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है बल्कि सेहत के लिहाज़ से भी बेहद फायदेमंद मानी जाती है. उड़द दाल और कद्दू से तैयार ये बरी बारिश के मौसम …और पढ़ें

सतना: बघेलखंड में बारिश के मौसम का ज़िक्र हो और कोमढौरी बरी की बात ना हो ऐसा संभव नहीं. यह खास किस्म की बरी, न सिर्फ़ स्वाद में लाजवाब होती है बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी बेहद लाभकारी मानी जाती है. लोकल 18 से बात करते हुए स्थानीय निवासी मीणा द्विवेदी बताती हैं कि कोमढौरी बरी अक्टूबर-नवंबर के महीने में बना ली जाती है और गर्मियों को छोड़कर पूरे साल इसका इस्तेमाल होता है. इसे दाल, कढ़ी और सब्ज़ी दोनों में मिलाकर खाया जाता है.

कोमढौरी बरी बनाने की पारंपरिक विधि
इस बरी को बनाने के लिए सबसे पहले उड़द की दाल रातभर पानी में भिगोई जाती है. सुबह इसे पीसकर, कद्दू को गोरनी में गोर कर उसका पानी निकाल लिया जाता है. फिर पिसी हुई दाल में घिसा हुआ कद्दू, हरी मिर्च, डोडा, इलायची, काली मिर्च, चैली पत्ता, अधिक मात्रा में अदरक और हींग का पेस्ट मिलाया जाता है. इस मिश्रण को तब तक फेंटा जाता है जब तक पानी ऊपर न उतर आए इससे बरी नरम और स्वादिष्ट बनती है.

धूप में सूखने के बाद सालभर उपयोग
इस मिश्रण को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर सूखने के लिए धूप में 10 से 15 दिनों तक रखा जाता है. पूरी तरह सूख जाने पर इसे टाइट डिब्बे में स्टोर किया जाता है. जब भी ज़रूरत हो इसे तेल में तलकर या धीमी आँच पर सेककर दाल या सब्ज़ी में डाला जा सकता है.

स्वास्थ्य लाभ भी कम नहीं
कोमढौरी बरी सिर्फ़ स्वाद नहीं बल्कि सेहत का खज़ाना भी है. यह सर्दी, जुकाम और गले की खराश जैसी समस्याओं में भी राहत देती है. यही कारण है कि बघेलखंड के लोग बरसात में इसका ज़रूर सेवन करते हैं. यह व्यंजन क्षेत्रीय परंपरा और आयुर्वेदिक ज्ञान का सुंदर संगम है.

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